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ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Romance Classics

4.7  

ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Romance Classics

15 नवंबर-प्रेम-Love

15 नवंबर-प्रेम-Love

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प्रेम एक अनुभूति है, प्रेम है अनुराग।

प्रेम मधुर सी रागिनी, प्रेम तपस्या त्याग।।१


प्रेम से संसार है, खिले प्रेम से फूल।

प्रेम बीच मझधार है, प्रेम बना है कूल।।२


मृदुल वचन से प्रेम है, प्रेम स्वच्छ है धार।

कृष्ण प्रेम हैं राधिका, वही जगत आधार।।३


अवनी अम्बर से मिले, दूर क्षितिज के पास।

प्रेम-मिलन आभास ही, लगे जगत को खास।।


प्रेम मधुर अहसास है, प्रेम बना विश्वास।

रखे समर्पण भाव से, अपने प्रभु में आस।।५


प्रेम प्रबल संभावना, प्रेम सबल आधार।

नदिया सागर प्रेमवश, मिलते बारम्बार।।६


देशप्रेम की भावना, रखे ध्वजा की शान।

यही प्रेम कहता हमें, भारत भूमि महान।।७


इक-दूजे के प्रेम से, बनता है परिवार।

सृष्टि का तो यही नियम, बाँध रहा घर-द्वार।।८


मानवता जब प्रेम की, रख देती है नींव। 

पीकर सारे ही गरल,जी जाता है जीव।।९


प्रेम कहाँ संत्रास में, देता है आघात।

यह कोमल सी भावना, रखे मृदुल जज्बात।।१०


पवन-गंध के प्रेम से, मिलती रही सुवास।

तन से प्राणों का मिलन,आता लेकर श्वास।।११


अद्भुत लगती यह कथा, खूब निभाये नेम।

देखो फूल गुलाब के, उसे शूल से प्रेम।।१२


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