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सब कुछ अपने मन का कर ले ये मनुष्य के हाथ में नहीं ,कर्म ही है अपने हाथ में फ़ल सदैव ईश्वर के हाथ मे... सब कुछ अपने मन का कर ले ये मनुष्य के हाथ में नहीं ,कर्म ही है अपने हाथ में फ़ल ...
फिर कुछ बदल-सा गया अब तुम बोलते थे, मैं चुप रहती थी तुम देखते थे, मैं आँखें चुराती थी जब तुम नहीं आत... फिर कुछ बदल-सा गया अब तुम बोलते थे, मैं चुप रहती थी तुम देखते थे, मैं आँखें चुरा...
सपने देखने को नींद ज़रूरी हैं मगर ,नींद को आने के लिए भी सपने ज़रूरी हैं बहुत सपने देखने को नींद ज़रूरी हैं मगर ,नींद को आने के लिए भी सपने ज़रूरी हैं बहुत
हर तूफ़ान को मोड़ती रही... मगर अब, बहुत थक गयी हूँ… आज फिर, बहुत याद आ रही हो… कहाँ ढूँढूँ तुम्हें… क... हर तूफ़ान को मोड़ती रही... मगर अब, बहुत थक गयी हूँ… आज फिर, बहुत याद आ रही हो… कह...
जो कभी सांसों में मेरे बसता था खुसबू की तरह ,अब लहू बन के रिसता हैं किसी पुराने ज़ख्म की तरह जो कभी सांसों में मेरे बसता था खुसबू की तरह ,अब लहू बन के रिसता हैं किसी पुराने...
इस अकेलेपन का एहसास कितना अजीब-सा है क्या कहें कि क्या थे और क्या रह गए हैं अब.. इस अकेलेपन का एहसास कितना अजीब-सा है क्या कहें कि क्या थे और क्या रह गए हैं अब....
मुझ सीप से हृदय में मुझ सीप से हृदय में
क्या पूरे होंगे कभी? क्या पूरे होंगे कभी?
सिर्फ चाहती रह गयी सिर्फ चाहती रह गयी
रे! कैसा है ये बंधन रे! कैसा है ये बंधन