लेखिका हूँ, रिश्तों की! एहसासों को लिखती हूँ।
चांदनी रात थी अरसे बाद की मुलाकात थी। चांदनी रात थी अरसे बाद की मुलाकात थी।
एक तुम्हारा दिल और एक परछाई, जो मेरे दिल की थी। एक तुम्हारा दिल और एक परछाई, जो मेरे दिल की थी।
जो पूछ बैठे मेरे प्रेम का साथी कहां गई मेरी हृदय वासी रे! जो पूछ बैठे मेरे प्रेम का साथी कहां गई मेरी हृदय वासी रे!
कभी साधनों की उपस्थिति में ज़रूरत हो जाती है पूरी, कभी साधनों की उपस्थिति में ज़रूरत हो जाती है पूरी,
मेरे रूह का पड़ोसी ज़मीर मेरे स्वाभिमान का बड़ा फिक्र करता है। मेरे रूह का पड़ोसी ज़मीर मेरे स्वाभिमान का बड़ा फिक्र करता है।
वह संदर्भ है, मेरी संपूर्ण रचना का। मैं प्रसंग हूं! वह संदर्भ है, मेरी संपूर्ण रचना का। मैं प्रसंग हूं!
नहीं कर सकते हम अपने स्वाभिमान को मौन। नहीं कर सकते हम अपने स्वाभिमान को मौन।
तो क्या हुआ वो ज़रा बेसब्र मिला है ! हां मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।। तो क्या हुआ वो ज़रा बेसब्र मिला है ! हां मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।।