जन्म लिया रसगुल्लों के प्रदेश में पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर में, उस शहर का नाम सुना ही होगा, आई आई टी कॉलेज वहां पर है।
अपने पापा की दुलारी प्यारी मैं, घर की सबसे छोटी बेटी थी
नाज नखरों से पली, मां की लाडली भी तो थी।
बचपन से ही पढ़ाई के साथ साथ चम्पक, नंदन पराग चंदामामा शौक से पढ़ती रही
बंगाली भी... Read more
जन्म लिया रसगुल्लों के प्रदेश में पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर में, उस शहर का नाम सुना ही होगा, आई आई टी कॉलेज वहां पर है।
अपने पापा की दुलारी प्यारी मैं, घर की सबसे छोटी बेटी थी
नाज नखरों से पली, मां की लाडली भी तो थी।
बचपन से ही पढ़ाई के साथ साथ चम्पक, नंदन पराग चंदामामा शौक से पढ़ती रही
बंगाली भी बोली बंगाली में गाने भी गाये।
उसके बाद तो आधे दर्जन शहरों में रहने का मौका मिला और जिंदगी की ट्रेन अपने रफ्तार पर है, अब बंगलोर में व्यवस्थित हूँ।
मेरा साहित्य परिचय कुछ बहुत बड़ा नही है, मैं तो विज्ञान की छात्र रही। पर बचपन से हिंदी के प्रति एक उत्सुकता और रुचि रही, लिखती पढ़ती रही।
Dps दिल्ली में गणित की शिक्षिका थी।
फिर गोरखपुर में मैंने 20 वर्ष कंप्यूटर शिक्षा दी। 2012 से कहांनी, कविता लिखना शुरू किया, कई समूहों में लिखती रही। कुछ पत्रिकाओं में भी मेरी रचनाएं छपी, बेटियों और कई समूहों से जुड़ी रही तब से लेखनी दौड़ने लगी। दो पुस्तकें छप गयी।
प्रकाशन - कई साझा काव्य संग्रह, साझा लघुकथा संग्रह, कुमुदावली काव्य संग्रह में मेरी कविताये है। लघुकथा के परिंदे की नियमित कहानीकार और पाठक हूँ।
अब तक करीब 100 रचनाओं का समाचारपत्रों (प्रवासी, इंदौर समाचार, कोल्डफील्ड मिरर, युग जागरण) में प्रकाशन। गृहशोभा, अभ्युदय, कविता कानन, सत्य की मशाल में रचनाएँ प्रकाशित। मेरी लिखी प्रकाशित पुस्तक "शीशे के रिश्ते" अब अमेज़न पर उपलब्ध और दूसरी पुस्तक "परिसीमा के परे" आजकल में ही आने वाली है।
सम्मान। - कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित पत्र, अपनी और कुछ दूसरे लोगो की कहानी यूट्यूब चैनल किस्सा कहानी में पढ़ी। Read less