कलम पर हुनर अपना समेट रहें हैं, हर बात हम कहा नहीं करते।।
दंड को समझ प्रसाद माना विधि का विधान, नमन तेरे चरणों में मेरा। दंड को समझ प्रसाद माना विधि का विधान, नमन तेरे चरणों में मेरा।
अबीर-गुलाल लिए हाथों में, छुप उपवन में हरिप्रिया खड़ी है।' अबीर-गुलाल लिए हाथों में, छुप उपवन में हरिप्रिया खड़ी है।'
भाग्यवान थी जो पति रूप में मैंने था उनको चुना। भाग्यवान थी जो पति रूप में मैंने था उनको चुना।
सफर हमसफ़र के संग अब सुखद से सुखदाई बना, भाग्यवान थी जो पति रूप में मैंने था उनको चुना। सफर हमसफ़र के संग अब सुखद से सुखदाई बना, भाग्यवान थी जो पति रूप में मैंने था...
तमन्ना दिल की अब बस है यही, बस दो पल का हो पर तेरा साथ हो। तमन्ना दिल की अब बस है यही, बस दो पल का हो पर तेरा साथ हो।
हाँ, टूट कैसे सकती हो तुम! तुम तो घर का बंधन हो। हाँ, टूट कैसे सकती हो तुम! तुम तो घर का बंधन हो।
उदास मन हो तो जहाँ वीरान लगता है, हर कोई जाना-पहचाना भी अनजान लगता है। उदास मन हो तो जहाँ वीरान लगता है, हर कोई जाना-पहचाना भी अनजान लगता है।
भक्ति भाव से भरा मेरा मन, बस तुमको रहा पुकार भक्ति भाव से भरा मेरा मन, बस तुमको रहा पुकार
हम काँटे भी संजोते पर कातिल ने जवाब भी न भेजा। हम काँटे भी संजोते पर कातिल ने जवाब भी न भेजा।
रहा कभी आराम तो नहीं, बापू होना आसान तो नहीं। रहा कभी आराम तो नहीं, बापू होना आसान तो नहीं।