जय हिंद
उसका शरीर अब अस्पृश्य है उसकी आत्मा अदृश्य है। उसका शरीर अब अस्पृश्य है उसकी आत्मा अदृश्य है।
नेता की कुर्सी ~ है हालांकि ये स्वार्थी जीत में खुशी नेता की कुर्सी ~ है हालांकि ये स्वार्थी जीत में खुशी
पी पी करती बस जब चलती।। सबको मंजिल तक पहुंचाती।। पी पी करती बस जब चलती।। सबको मंजिल तक पहुंचाती।।
अपनी हर परेशानी को, हल करने लगा हूँ खुद से ही अब मैं, गुफ्तगू करने लगा हूं। अपनी हर परेशानी को, हल करने लगा हूँ खुद से ही अब मैं, गुफ्तगू करने लगा हूं।
जीवन सकारात्मक संभावनाओं से भरा हो जीवन सकारात्मक संभावनाओं से भरा हो
जिस दिन मेरी आंखों से लालच फरेब का धूल भरा पर्दा हटेगा। जिस दिन मेरी आंखों से लालच फरेब का धूल भरा पर्दा हटेगा।
जिसे में •• पत्थरों में ढूंढने चला हूँ वह तो मेरे अंदर ही बसा है। जिसे में •• पत्थरों में ढूंढने चला हूँ वह तो मेरे अंदर ही बसा है।
शिक्षक का कोई मोल नहींं होता है शिक्षक सच में बड़ा अनमोल होता है। शिक्षक का कोई मोल नहींं होता है शिक्षक सच में बड़ा अनमोल होता है।
अपनी अदृश्य शक्ति से दुनिया को दहला दिया। अपनी अदृश्य शक्ति से दुनिया को दहला दिया।