✍️"मैं स्याही से इमोशन्स लिखती हूँ, और कहानियाँ खुद-ब-खुद ज़िंदा हो जाती हैं!"
Thak chuki thi, khud ko dhoondhne mein,<br>Har muskaan ke peeche dard chhupa tha kahin.<br><br>Sab k... Thak chuki thi, khud ko dhoondhne mein,<br>Har muskaan ke peeche dard chhupa tha...
क्यों आते हैं वो लोग, जो जाने ही वाले होते हैं? क्यों भर देते हैं दिल में उम्मीदें, जब निभाना उनका इ... क्यों आते हैं वो लोग, जो जाने ही वाले होते हैं? क्यों भर देते हैं दिल में उम्मीद...
"एक किताब" एक पुरानी सी किताब अलमारी के कोने में पड़ी थी, धूल में लिपटी, मगर अंदर कई जज़्बातों को ज... "एक किताब" एक पुरानी सी किताब अलमारी के कोने में पड़ी थी, धूल में लिपटी, मगर अं...
कभी खुद से बातें करना अच्छा लगता था, आज खुद से नज़रें मिलाना भी भारी लगता है। हम जिनके लिए सबकुछ छोड... कभी खुद से बातें करना अच्छा लगता था, आज खुद से नज़रें मिलाना भी भारी लगता है। हम...
कभी कुछ कहा नहीं, पर तुझसे जुड़ जाना आसान था। तेरी खामोशी भी सुकून देती थी, जैसे तू समझता था मुझे… ब... कभी कुछ कहा नहीं, पर तुझसे जुड़ जाना आसान था। तेरी खामोशी भी सुकून देती थी, जैसे...
कभी थी तू मेरी हँसी की वजह, हर ग़म में तेरे साथ की चाहत रही। बिना सोचे, बिना डरे सब कह देती थी, क्यो... कभी थी तू मेरी हँसी की वजह, हर ग़म में तेरे साथ की चाहत रही। बिना सोचे, बिना डरे...
पुरानी किताबों की खुशबू, एक जादू सा बिखेरे, हर पन्ना कुछ कहे, जैसे वक्त को धीरे-धीरे घेरे। उनमें दबी... पुरानी किताबों की खुशबू, एक जादू सा बिखेरे, हर पन्ना कुछ कहे, जैसे वक्त को धीरे-...
कोई साथ रहे, ऐसी कसमें किधर पड़े हैं? कोई साथ रहे, ऐसी कसमें किधर पड़े हैं?
दाल-रोटी भी अब खुद से बनाना पड़ गया। दाल-रोटी भी अब खुद से बनाना पड़ गया।