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मैंने कहा ना नहीं होता मुझे शबरी सा इंतजार मुझे इजाजत चाहिए बस तुम दे दो। मैंने कहा ना नहीं होता मुझे शबरी सा इंतजार मुझे इजाजत चाहिए बस तुम दे दो।
मैं नहीं जानता की उस शब्द को किसने उखाडा जो नदी के तीर पर अपना देह छोड रहा था। मैं नहीं जानता की उस शब्द को किसने उखाडा जो नदी के तीर पर अपना देह छोड रहा था...
मै वो बारिश अभी भी देख सकता हूँ साथ महसूस कर सकता हूँ मिट्टी मे उठनेवाली वो सुगंध। मै वो बारिश अभी भी देख सकता हूँ साथ महसूस कर सकता हूँ मिट्टी मे उठनेवाली वो...
मेरे लिए हाँ मेरे लिए तुम आग को चूमती थी, मेरे लिए हाँ मेरे लिए तुम आग को चूमती थी,
इस लिए ये जो बारिश हैं न मेरी हैं न तुम्हारी हैं.... इस लिए ये जो बारिश हैं न मेरी हैं न तुम्हारी हैं....