आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश : भारत http://merealfaazinder.blogspot.com
एक ढिबरी जो रह रह के बुझ जाया करती थी एक ढिबरी जो रह रह के बुझ जाया करती थी
तनिक धक्के से गिर जाये लड़खड़ा के तनिक धक्के से गिर जाये लड़खड़ा के
सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होने का भरम मैं पल भर मे चूर कर देता सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होने का भरम मैं पल भर मे चूर कर देता
था वक़्त हमारी मुठ्ठी में मर्ज़ी के बादशाह थे हम थें लड़ते भी, थें रूठते भी फिर भी बे-गुनाह... था वक़्त हमारी मुठ्ठी में मर्ज़ी के बादशाह थे हम थें लड़ते भी, थें रूठते भ...
कभी हम भी ख्वाब रखते थे, इक नया जहान बसाने को... कभी हम भी ख्वाब रखते थे, इक नया जहान बसाने को...
ये शाम जिसके आने से कभी दिल खिल उठा था इस क़दर खामोश ये पहले तो न थी ये शाम जिसके आने से कभी दिल खिल उठा था इस क़दर खामोश ये पहले तो न थी
इस दिल में भी कुछ अरमां हैं इस दिल में भी कुछ अरमां हैं
मैं अपनी सुलगन को उसकी धुएँ में उछालता रहा, वो हर बार अपनी जलन को ऐश-ट्रे में डालता रहा, मैं अपनी सुलगन को उसकी धुएँ में उछालता रहा, वो हर बार अपनी जलन को ऐश-ट्...
वही सड़क वही गलियाँ वही मकान सारे हैं वही सड़क वही गलियाँ वही मकान सारे हैं
बर्तन में पानी रख के, बैठ घंटों उसे निहारा था फ़लक के चाँद को जब, जमीं पे उतारा था, बर्तन में पानी रख के, बैठ घंटों उसे निहारा था फ़लक के चाँद को जब, जमीं पे उतार...