I'm Rajeev and I love to read StoryMirror contents.
उस समय वह भिखारिन नहीं सिर्फ औरत नहीं - एक माॅं थी सिर्फ माॅं। उस समय वह भिखारिन नहीं सिर्फ औरत नहीं - एक माॅं थी सिर्फ माॅं।
मानवता की इस बारिश में खेत - मकान नहीं बल्कि जमीदार का गुरूर बह गया था। मानवता की इस बारिश में खेत - मकान नहीं बल्कि जमीदार का गुरूर बह गया था।
तब इन्होंने उसकी ओर देखते हुए कहा था--यहां लेटे शाहजहां से भी ज्यादा तब इन्होंने उसकी ओर देखते हुए कहा था--यहां लेटे शाहजहां से भी ज्यादा
उसने थोड़ा और जोश में आकर थोड़ी सी गर्दन और कटी अब उस पर बेहोशी छाने लगी। उसने थोड़ा और जोश में आकर थोड़ी सी गर्दन और कटी अब उस पर बेहोशी छाने लगी।
स्पर्श की अनुभूति शायद महसूस की जा सकती है,शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं होती। स्पर्श की अनुभूति शायद महसूस की जा सकती है,शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं होती...
न भींगें तेरी कोरी चुनरिया, न भींगे तेरी चोली रे। न भींगें तेरी कोरी चुनरिया, न भींगे तेरी चोली रे।
उसने खिड़की से बाहर देखा, सूखे हुए पलास पर लाल लाल रंग के फूल मुस्करा रहे थे। उसने खिड़की से बाहर देखा, सूखे हुए पलास पर लाल लाल रंग के फूल मुस्करा रहे थे।
अचानक मिली तारीफ से मैं भाव विभोरित हो गया। अचानक मिली तारीफ से मैं भाव विभोरित हो गया।
सामने दुकान आ गयी थी। बारिश की हल्की सी बूंदें आनी शुरू हो गयीं थीं सामने दुकान आ गयी थी। बारिश की हल्की सी बूंदें आनी शुरू हो गयीं थीं
मैं जानती थी, मां अंदर से बहुत खुश थी, अब उनमें बहुत कम झगड़े होते थे। मैं जानती थी, मां अंदर से बहुत खुश थी, अब उनमें बहुत कम झगड़े होते थे।