https://www.facebook.com/ashish.mishra.7370 मेरी कविता मेरे भाव - प्रकाशित https://www.amazon.in/dp/B07V7BSHL9?ref=myi_title_dp&fbclid=IwAR0D2cuK1U9cI5Uw4DMiEbaJj2xCMFRx4OmJFpLC_5IIi-tKwv5lR-PQY8E
जुलाई लिए बरसात आगमन रिमझिम वाला भीगा सावन। जुलाई लिए बरसात आगमन रिमझिम वाला भीगा सावन।
आने को तैयार जनवरी चार दिनों की बातें है। आने को तैयार जनवरी चार दिनों की बातें है।
राम इतना बहे, राम मन हो गये राम वन जो गये, राम ही हो गये राम इतना बहे, राम मन हो गये राम वन जो गये, राम ही हो गये
मैं भी सजीव हो उठा दौड़ने लगा धूप में परछाइयाँ बटोरने लगा धूप में तनहाइयाँ निचोड़ने मैं भी सजीव हो उठा दौड़ने लगा धूप में परछाइयाँ बटोरने लगा धूप में तनहा...
सागर की लहरों में भी गिरती देखी ठंडी ओस सागर की लहरों में भी गिरती देखी ठंडी ओस
चाहे नया मैं आज हूँ, पर पुराना है ढका बाहर यथा मैं भूल जाऊँ, अंदर याद आता है चाहे नया मैं आज हूँ, पर पुराना है ढका बाहर यथा मैं भूल जाऊँ, अंदर याद आ...
सूनापन क्या कम होता है रोशनदान खुले होने से । सूनापन क्या कम होता है रोशनदान खुले होने से ।
हद कर गया यह साल तीता है आ रहा पूरा नया वो साल मीठा है हद कर गया यह साल तीता है आ रहा पूरा नया वो साल मीठा है
देख दिसम्बर बूढ़ा होकर गिनता अपनी रातें हैं। देख दिसम्बर बूढ़ा होकर गिनता अपनी रातें हैं।
देखा है मैंने गमले में अंकुर नया फूटकर आया अचेतन था दुबका अंदर वह जीवन बन आया देखा है मैंने गमले में अंकुर नया फूटकर आया अचेतन था दुबका अंदर वह जीवन बन आया