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आदर्श बालक

आदर्श बालक

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लेनिनग्राद में एक छोटा बच्चा पाव्लिक रहता था।

उसकी मम्मा थी। पापा थे। और नानी थी।

इसके अलावा उनके फ्लैट में एक बिल्ली भी रहती थी, जिसका नाम बूबेन्चिक था।

तो, सुबह पापा काम पर चले जाते। मम्मा भी निकल जाती। और पाव्लिक नानी के साथ रह जाता।

मगर नानी तो खू S S S ब बूढ़ी थी। और उसे कुर्सी पर बैठे-बैठे सोना अच्छा लगता था।

तो, पापा चले गए। और मम्मा भी चली गई। नानी कुर्सी में बैठ गई। और पाव्लिक फर्श पर अपनी बिल्ली से खेलने लगा। वह चाहता था कि वो अपने पिछले पैरों पर चले। मगर वो नहीं चाहती थी। और वो शिकायत के सुर में म्याँऊ-म्याँऊ कर रही थी।     

अचानक सीढ़ियों पर घंटी बजी। नानी और पाव्लिक दरवाज़ा खोलने गए। पोस्टमैन आया था। वह एक ख़त लाया था। पाव्लिक ने ख़त लिया और कहा:

”मैं ख़ुद ही पापा को ख़त दूँगा। ”

पोस्टमैन चला गया। पाव्लिक फिर से अपनी बिल्ली के साथ खेलना चाहता था। मगर, देखता क्या है कि बिल्ली तो कहीं है ही नहीं। पाव्लिक नानी से कहता है:

 “नानी , ये है नमूना – हमारी बूबेन्चिक खो गई है!”

नानी कहती है:

 “जब हमने पोस्टमैन के लिए दरवाज़ा खोला, तब शायद बूबेन्चिक सीढ़ियों पे भाग गई है। ”

पाव्लिक कहता है:

 “नहीं, हो सकता कि पोस्टमैन ही मेरी बूबेन्चिक को ले गया हो। शायद उसने जानबूझकर हमें ख़त दिया हो, और मेरी ट्रेन्ड बिल्ली को ले गया हो। ये बहुत चालाक पोस्टमैन था। ”

नानी हँसने लगी और मज़ाक में बोली:

 “कल पोस्टमैन आएगा, हम उसे ये ख़त दे देंगे और बदले में उससे हमारी बिल्ली वापस ले लेंगे। ”

नानी कुर्सी पर बैठ गई और ऊँघने लगी।

और पाव्लिक ने अपना ओवरकोट पहना, टोपी पहनी, ख़त लिया और हौले से सीढ़ियों पर निकल गया।

’बेहतर है,’ उसने सोचा, ‘ कि मैं पोस्टमैन को अभी ख़त दे दूँ। और बेहतर है कि मैं अभी उससे अपनी बिल्ली वापस ले लूँ। ’

तो, पाव्लिक कम्पाऊँड में आया। देखता क्या है कि कम्पाऊँड में पोस्टमैन नहीं है। पाव्लिक रास्ते पर निकल गया। और वह रास्ते पर चल पड़ा। और देखता है – रास्ते पर कहीं भी पोस्टमैन नहीं है।


अचानक एक लाल बालों वाली आण्टी बोली:

  ”आह, देखो, देखो, कितना छोटा बच्चा सड़क पर अकेला जा रहा है! शायद उसने अपनी मम्मा को खो दिया है और भटक गया है। आह, फ़ौरन पुलिस को बुलाओ!”

तो, सीटी बजाते हुए पुलिस वाला आया। आण्टी उससे बोली:

 “देखिए तो, कैसा बच्चा है, क़रीब पाँच साल का, भटक गया है। ”

पुलिस वाले ने कहा:

 “इस बच्चे के हाथ में ख़त है। शायद इस ख़त पर उसका पता लिखा हो। हम ये पता पढ़ लेंगे और बच्चे को घर पहुँचा देंगे। ये तो अच्छा हुआ कि ये ख़त उसके हाथ में है। ”

आण्टी बोली:

 “अमेरिका में बहुत सारे माँ-बाप जानबूझ कर अपने बच्चों की जेब में ख़त रख देते हैं, जिससे वे खो न जाएँ। ”

इतना कहकर आण्टी ने पाव्लिक के हाथ से ख़त लेने की कोशिश की।

पाव्लिक ने उससे कहा:

“आप क्यों परेशान हो रही हैं? मुझे मालूम है कि मैं कहाँ रहता हूँ। ”

आण्टी हैरान हो गई, कि बच्चे ने इतनी बहादुरी से ये बात कही। और वह हैरानी के मारे पानी के डबरे में बस गिरते-गिरते बची। फिर वह बोली :

 “देखिये, कैसा बिनधास्त बच्चा है! तो फिर ये हमें बताए कि वह कहाँ रहता है। ”

पाव्लिक ने जवाब दिया:

 “ 5, फोन्तान्का स्ट्रीट। ”

पुलिसवाले ने ख़त की ओर देखा और बोला:

 “ओहो, ये बड़ा बिनधास्त बच्चा है – वो जानता है कि उसका घर कहाँ है। ”

आण्टी ने पाव्लिक से कहा:

 “तेरा नाम क्या है? और तेरे पापा कौन हैं?”

पाव्लिक ने जवाब दिया:

 “मेरे पापा ड्राइवर हैं। मम्मा दुकान में गई है। नानी कुर्सी में सो रही है। और मेरा नाम है पाव्लिक। ”

पुलिसवाला हँस पड़ा और बोला:

 “ये वाक़ई में बिनधास्त, आदर्श बच्चा है – उसे सब मालूम है। शायद, बड़ा होकर ये पुलिस ऑफ़िसर बनेगा। ”

आण्टी ने पुलिस वाले से कहा: “इस बच्चे को घर छोड़ दीजिए। ”

पुलिस वाले ने पाव्लिक से कहा:

 “तो, नन्हे कॉम्रेड, घर चलते हैं!”

पाव्लिक ने पुलिस वाले से कहा:

 “आपका हाथ दीजिए – मैं आपको अपने घर तक ले चलता हूँ। ये रही मेरी लाल बिल्डिंग। ”

अब पुलिस वाला हँसने लगा। लाल आण्टी भी हँसने लगी।

पुलिस वाले ने कहा:

 “ये तो एक ख़ास, बहादुर, बिनधास्त और आदर्श बच्चा है। ये सब कुछ तो जानता ही है, ऊपर से ये मुझे घर तक ले जा रहा है। ये बच्चा ज़रूर पुलिस का बड़ा अफ़सर बनेगा। ”

तो, पुलिस वाले ने पाव्लिक को अपना हाथ दिया और वे घर की ओर चले।    


वे अपने घर तक बस पहुँचे ही थे कि – अचानक मम्मा को आते देखा।

मम्मा को बड़ा अचरज हुआ कि पाव्लिक रास्ते पर जा रहा है, उसने उसका हाथ पकड़ा और घर ले आई।

घर पहुँचने पर उसने उसे थोड़ी सी डाँट पिलाई। उसने कहा:

 “आह, तू, गन्दा बच्चा, तू सड़क पर क्यों भागा था?”

पाव्लिक ने जवाब दिया:

 “मुझे पोस्टमैन से अपने बूबेन्चिक को वापस लेना था। मेरी बूबेन्चिक खो गई है और , हो सकता  

है, कि उसे पोस्टमैन ले गया हो। ”

मम्मा ने कहा:

“क्या बेवकूफी है! पोस्टमैन कभी भी बिल्लियाँ नहीं ले जाते। ये रही तुम्हारी बूबेन्चिक, अलमारी पर बैठी है। ”

पाव्लिक ने कहा:

 “ये है नमूना! देखिए, कहाँ कूद कर बैठ गई मेरी ट्रेण्ड बिल्ली। ”

मम्मा ने कहा:

 “गन्दे बच्चे, शायद तू उसे तंग कर रहा होगा। वो जाकर अलमारी पर बैठ गई। ”

अचानक नानी उठ गई।

नानी को कुछ मालूम ही नहीं हुआ कि क्या-क्या हुआ था, वह मम्मा से बोली:

 “आज पाव्लिक बिल्कुल अच्छे बच्चे की तरह रहा। मुझे भी उसने नहीं उठाया। इसके लिए उसे चॉकलेट देना चाहिए। ”

मम्मा ने कहा:

 “चॉकलेट-वॉकलेट कुछ नहीं, बल्कि उसे कोने की ओर नाक करके खड़ा करना चाहिए। आज वह सड़क पर भाग गया था। ”

नानी ने कहा:

 “ये है नमूना! “

इतने में अचानक पापा भी आ गए।

पापा गुस्सा होने ही वाले थे कि बच्चा सड़क पर क्यों भागा था। मगर पाव्लिक ने पापा की ओर ख़त बढ़ा दिया।

पापा ने कहा:

 “ये ख़त मेरे लिए नहीं, बल्कि नानी के लिए है। ”

नानी ने नाक पर चश्मा चढ़ाया और ख़त पढ़ने लगी। फिर उसने कहा:

 “मॉस्को में मेरी छोटी लड़की को एक और बच्चा हुआ है। ”

पाव्लिक ने कहा:

 “शायद, बहादुर बच्चे ने जनम लिया है। और, शायद वो पुलिस का ऑफ़िसर बनेगा। ”

अब सब हँस पड़े और खाना खाने बैठे।

पहले उन्होंने चावल और सूप खाया। फिर – कटलेट्स। इसके बाद – दही।

बिल्ली बूबेन्चिक बड़ी देर तक ऊपर अलमारी से देखती रही कि पाव्लिक कैसे खा रहा है। फिर वह बरदाश्त नहीं कर सकी और उसने भी थोड़ा कुछ खाना चाहा।

वह अलमारी से छोटी अलमारी पर कूदी, वहाँ से कुर्सी पर, कुर्सी से फर्श पर।

और तब पाव्लिक ने उसे थोड़ा सा सूप और थोड़ा सा दही दिया।

बिल्ली बहुत ख़ुश हो गई।



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