कन्धों पे बस्ते !
कन्धों पे बस्ते !
कन्धों पे बस्ते !!!
जब छोटे कन्धों पे बस्ते सजे देखता हूँ ,
मैं देश को प्रगति के रस्ते पे देखता हूँ ...
उन नन्हे क़दमों को स्कूल थमते देखता हूँ ,
मैं देश को विश्व पटल पे जमते देखता हूँ ...
उन उँगलियों में कलम जितनी बार देखता हूँ ,
नफ़रत के खड्ग की कम होती धार देखता हूँ !
जब छोटे कन्धों पे बस्ते सजे देखता हूँ ,
मैं देश को प्रगति के रस्ते पे देखता हूँ !!
जब भी मासूम चेहरों पे मुस्कान देखता हूँ ,
मैं भारत को आसमान में उड़ते देखता हूँ ।
जब उन चेहरों पर आशा का उदय देखता हूँ ,
मैं भारत का होता नया अभ्युदय देखता हूँ !!
उनकी ख़्वाहिशों से दबे प्रश्नों को जब उबलते देखता हूँ
देश को ज्ञान की ऊष्मा से जलते हुऐ देखता हूँ !
जब छोटे कन्धों पे बस्ते सजे देखता हूँ
मैं देश को प्रगति के रस्ते पे देखता हूँ !!