शिव के दर
शिव के दर
जब मैं शिव के दर जाऊँगा
मैं तुझसे मिल कर जाऊँगा
शीतल मन में छांव मिलेगी
और बिछौने खत कर लूँगा
इन बाहों का बाग खिलाकर
यादों की खुसबू भर लूँगा
मैं सागर से खार चुराने
नदिया में बह कर जाऊँगा
गजेंद्र मोक्ष सी तेरी बातें
नाम तेरा नारायण जैसा
तेरे कांधे जो छलकेंगे
वो अश्रु गंगाजल होंगे
बाते सुन कर,हरिहर रट कर
अश्रु पी कर,तर जाऊँगा
मेरे तन पे हाथ तेरा हो
तेरा पहलू बस मेरा हो
तू मेरे सब बंधन खोले
आह भरे और जी भर रो ले
फिर तुझसे गलबहियां कर के
यूँ होगा की मर जाऊँगा
तेरे किस्से थाम चलूंगा
वैतरणी को पार करूँगा
इन नैनों से कजरा लेकर
मैं मृत्यु की मांग भरूँगा
चाहत से चालाकी कर के
नियति के बिस्तर जाऊँगा