मिट्टी के घर
मिट्टी के घर
जो जीवन में एक सौंधी सी महक भर जाते थे,
और बातों में मिठास, दिलों में एहसास जगाते थे।
वो मिट्टी के घर आज जब याद आ जाते हैं,
आंखों में नमी सी भर जाते हैं।
आंगन में लगे वो बड़े बड़े छायांदार पेड़,
मन में नई उमंग, शीतलता का आभास कराते थे।
बड़े बड़े मटकों का ठंडा ठंडा पानी पीकर
जब अपनी प्यास बुझाते थे,
माँ के हाथों से बनी गर्म चूल्हे की रोटियां भी पेट भर खाते थे।
शाम को जब दोस्तों संग गुल्ली डंडा खेलने जाते थे,
एक दूसरे से मिलकर अपने सुख दुःख बताते थे।
हर त्यौहार पर आस पास खुशियां फैलाते थे,
आशा के नए रंग, नई ज्योत जलाते थे।
बड़े परिवार और उसमे बुजुर्गों का बेपनाह प्यार,
सादगी भरा जीवन और सुंदर संस्कार,
रिश्तों की परख और आपसी व्यवहार,
सम्पूर्ण जीवन का सार।
वो मिट्टी के घर आज भी जब याद आते हैं,
आंखों में नमी सी भर जाते हैं।