कयामत
कयामत
होगा ना कोई सारे जहां में तुमसा हसीन
हमारी नजरों से देखो हम कहते है यकिन से।।
होता है रश्क मुकद्दर पर हमको
मिला न ऐसा हमसफर जगत में।।
ना आएगा वह दिन ना आएगी वह शाम
जलते हैं हम बशर्ते हर रोज उनकी यादों में।।
तरस गए हम उस प्यार की छैंया को
मुस्कुराते हैं हम भरे महफिले आवाम में।।
समय ही बुरा हमारा बुरा ओ साया
नसीब जो हमारे लिए दर्दे जख्म लाया।।
अश्क करते हैं जब्त रूखे दिल में सारे
रूखे दिल को बताया दुनिया ने बेदर्दी शरारे ।।
हमसे किए उन्होंने यह प्यार भरे वादे जफाए
दिखाएं जा रहे हम कयामत तक वफाएं ।।