बेटी है सपना
बेटी है सपना
बेटी हर घर
का है सपना
बेटी के बिन
लगता है खाली
हर अँगना।
बेटी के कई रूप है
सुन्दर स्वरूप है
माँ बहिन बेटी
अनेक रूप मे होती है
आज जो पत्नी है
बचपन की बेटी है
अब पत्नी है
बच्चो की माँ है
माँ तो बस माँ है
माँ जब अपनी
बेटी को देखती है
अपने ही बचपन
को याद कर देखती है
सुन्दर बचपन
सुहाना वो बचपन
सपना सा लगता है
बीता वो बचपन
बेटी की यादों मे
बचपन की यादें
सपना सा दिखती है
कष्टो मे बीते जो
बेटी का बचपन
तड़पता है दिल
माँ का है अपनापन
माँ मे है बेटी
बेटी मे माँ है
रिश्ता ये ऐसा है
जैसे लगता हो
जमी आसमाँ है
बेटी को लगता है
बचपन भला है
माँ तो समझती है
अच्छा ही करती है
बस बेटी का भला है
माँ और बेटी का
रिश्ता ही ऐसा है
माँ तो समझती है
आगे क्या होना है
बेटी का भी है कुछ
अपना ही सपना है ।