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Sonias Diary

Others

5.0  

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घरौंदा

घरौंदा

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ज़िंदगी शुरू हुई 

प्यार से साथ से 

दोनो हाथों की उँगलियों में 

डले प्रेम के छल्लों

के एहसास से 


दोनो चले संग वो 

घरोंदा किराए का बसाने

काम करने अपनी 

जिंदगानी को आगे बढ़ाने


किलकारियाँ गूँजी वहीं 

ख़ुशी मिली वहीं 

ज़िंदगी एसे ही चलती गयी 


घरोंदा लेने की चाह में 

चाभी के गुच्छे को 

पाने की चाह में


तप तप पसीना था बहाया 

प्यार रिश्ते नाते 

उन सबसे मोह अपना था गँवाया


फिर भी ज़िंदगी 

संग से एक दूसरे के 

बढती गयी 

वो चलती गयी, हँसती गयी 


किराए के घोंसले से निकल 

वो जोड़ा सोनिया 

अपने घरोंदे में आ बसा


प्यारा घर आँगन 

रिश्ते प्रेम के 

रिश्ते साथ के अब सब 

जिम्मेदारियाँ बनने लगे 


प्रेमी वो पंख 

भार अब लगने लगे 


तलाक़ तलाक़ तलाक़

तीन लफ़्ज़ों ने 

घरोंदा वीरान कर दिया 


जिंदगानी फिर से थम गयी 

छल्ले उँगलियों से निकल गए 

रिश्ते यूँ ही बिखर गए 


माँ संग किलकारी चली 

अलग से संसार अपना बसाने 


वो पड़ा अकेला 

उस घर में अश्रु बहाने 


जद्दोजहद चल पड़ी 

पहले घरोंदा बनाने की

अब घरोंदा पाने की 


कोर्ट वक़ील 

अब रिश्तों के साझीदार हुआ 

ज़िंदगी चल पड़ी 

अकेलापन फिर से पाने 


हाथ में छल्ले 

बीच में चाभी

आस पास दोनो खड़े 

एक हाथ में नन्हें सपने 

दूसरा हाथ वीरान चले 


ये है मेरा ये मेरा मेरा 

घर के दो टुकड़े हुए 

बिखर गए सपने

बिखर गए घरोंदे


चाह की चाहत ने 

चाहत से नाता तोड़ दिया 

चाह की चाहत ने 

रिश्ता प्रेम साथ 

सब कुछ तोड़ दिया ।।


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