कठपुतली
कठपुतली
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कठपुतलियों का कोई
अस्तित्व नहीं होता
इशारों पर नाचना ही
इनका भविष्य है होता।
रीढ़ बिना खड़ा कोई
शरीर नहीं होता
कठपुतली बने इंसानो का
अपना कोई जमीर नहीं होता।
सुना था अब तक
झूठ के पाँव नहीं होते
पर देखा है की सच के
कोई साथ नहीं होता।
सच खुलेगा तो
मचेगा ही बवाल,
पर झूठे लोगों की
दुनिया में है भरमार।
कैसे बदलेगी तस्वीर
कैसे बदलेगा समाज
जब तक नहीं जागेगा
हमारा खुद का जमीर,
कैसे कर पायेंगे हम
इस धरा का कल्याण।