बचपन
बचपन
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वो बचपन कितना
खुश हाल था यारों
कड़ी धूप मे भी
नंगे पैर चलते थे यारों
दो ही दोस्त काफी थे
दुनियादारी को यारों
सारा जहाँ उन्ही मे था
दिन कटता साथ यारों
नदी के पानी में हम
साथ खेलते थे यारों
शॉवर का मजा तो
खुले आसमान मे यारों
ना कोई फिक्र थी ना
कोई जिम्मेदारी यारों
ना कल की कोई चिंता
ना आज की परवाह यारों