Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

वीर

वीर

1 min
7.7K


वीर…..

मैं घर छोड़ आया

माँ की आँचल ओ ममता

नरम नरम फुल्के

छोड़ आया

एक बचपन

और प्यारी सी मुस्कान

छोड़ आया....

 

प्रेमिका का आगोश

अभिमानी आँखें

तैरती झील

पहाड़ी फूल

उसकी ग़ज़लें

जूड़े का गजरा

सब छोड़ आया.....

 

आते आते

कई सारी आवाजें

सिसकियां

क़दम की बेड़ियां बने

हर नज़र पीछा करते करते

छुप गयी मेरे गांवों की

छोटी सी पहाड़ी के पीछे

और मैं ..सारी बेड़ियां तोड़ आया.....

 

पंछिओं की आँखों में

वापसी के आँसू देखे

ढलते सूरज को उदास देखा

पर सरहद की आवाज़ें

कदमों को न रोक सकीं

मैं अपने आपको छोड़ आया.....

 

आँखों में जलता बारूद लेकर

माँ के कदमों में

अपना जिगर रख आया....

 

निडर मैं चला

उस पथ पर

जहाँ करोड़ों माँएं

जला रहीं हैं

सीने की टुकड़ों को

बिना आँसू बहाये।।

 

सरहद कभी न पूछे

जात पात की खबरें

न पहचाने

रंग जिस्म की

न माने कितनी शोहरत

है कमायी

कितना राज़ सम्हाला

इसलिये मैं सारे रुतबे भूल आया

फरेबी के खेल

तमाशे बहुरूपिये के

जीवन भूल आया....

 मैं घर छोड़ आया.....।

 

 


Rate this content
Log in