कानून बनते है
कानून बनते है
कानून बनते हैं
पालन करने के लिये
मगर अक्सर टूटते हैं
जानी अनजानी
गलतियों के लिये
कानून बनते हैं
इन्सानों के लिये
इन्सान जन्म लेता है
मरता भी है
कानून की भी
उम्र होनी चाहिये
समय के साथ कानून
भी बदलना चाहिये
किसने बनाया
इस बात के अड़ंगे
बाधा किसी को
बीच में नही
आने देना चाहिये
कानून भी ऐसे बनें
जो पालन हो सके
किसी को थप्पड़
मारने, टट्टी पेशाब
जैसी छोटी मोटी
बातों पर कानून
बनेगें तो टूटेगे
इस तरह के कानून
पर कुछ अजीब सा
ओछापन सा लगता है
क्या कहें ऐसे कानून
बनाने वालों को
कुछ अजीब सा
हल्कापन सा लगता है
क्षमा करें शब्दों में
बयां करना थोड़ा अटपटा सा लगता है
तभी तो ऐसे कानून का
पालन नही होता है
अक्सर कानून टूटता है