कविता
कविता
पानी है तो जीवन है
होये कुछ भी ना बिना पानीके
व्यर्थ ना गँवाओ यह जल अमृत
करके नियोजन भर-भर पानी
समझो मीठे पानी का मोल
जग में बचा ना पानी खोल
नहर,नदिया सूखी-सूखी
सरोवरो का भी हाल है झोल
बूँद बूँद पानी बचाओ आज
नहीं तो होगा जल बिन हाल
बिना पानी के मछली तडपती
वैसे ही होगी अपनी सूखी खाल
व्याकुल प्यास बुझाने खातिर
छीना झपटी होगी दुनिया में आगे
रुपयों से भी ना मिलेगा पानी
इक दूसरे का खून पीने दौडोगे
नहीं बचेगा मानव बिना पानी के
पेड-पौधे खेत-खलिहान सूख जायेंगे
जब तलक है जान तन में बाकी
हरे-भरे धरा को वृक्षो से हम भर देंगे
अपने गांव को हरा स्वर्ग बनाओगे
पानी बचाकर वृक्षो को हम जगायें
विश्व जल दिवस के पावन अवसर पे
लेकर कसम कसमो को हम निभायेंगे