किसे पुकारूं
किसे पुकारूं
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जग रूठे तो माँ पुकारूं,
माँ रूठे तो किसे पुकारूं?
मैं नासमझ तेरी सृष्टि हूँ|
हर जन्म
तुम्हारी ऋणी हूँ|
पथरीली
दुनिया की डगर से,
मैं अबोध
अभी बच्ची हूँ|
पांव अभी
मेरे छोटे हैं,
जब ठेस लगे
तो किसे पुकारूं?
मैनें
दुनिया नहीं देखी है,
सबको अपना
लाल प्यारा ,
कौन मेरी ओर
देखेगा|
किस ओर किधर
मैं हाथ पसारूं?
जग रूठे तो माँ पुकारूं,
माँ रूठे तो "वंदे"
किसे पुकारूं?