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शिल्पा म. वाघमारे

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शिल्पा म. वाघमारे

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वात्सल्य सागर

वात्सल्य सागर

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विश्वाचे तू आर्त | वात्सल्य सागर|| रिती मी घागर  | तुझ्यापुढे   ||१|| तूच  आद्यगुरु | चैतन्य गाभारा  || ऋणांचा हा भारा | वाहू कशी ||२|| तुझ्या ममत्वाचे |मोल नच कोठे|| प्रितामृत साठे  | हृदयात ||३|| मनविश्वांगणी| मी तम,तू ज्योती || निर्व्याज तू प्रीती | अनुपम  ||४|| सुधा ती प्राशून | स्तन्य बोधामृत || न्हाले ज्योतिरात | धन्य झाले ||५|| केवडा, बकुळ | चंदन, कस्तुरी || तुजपुढे सारी | गंधहीन ||६|| साहित्यनगरी | सम्राज्ञी शब्दांची|| प्रतिमा ईशाची | धरेवरी ||७|| आईच्या छायेत|वाट सजलेली|| फांदी वाकलेली| संस्कारांनी||८|| पियुषी पान्ह्याने| शब्द भिजलेले || ओठी  थिजलेले  | प्रसवले ||९|| तू ग वजा जाता| जगणेच व्यर्थ|| उरेल का अर्थ | अस्तित्वास ||१०|| मज गवसला | आठवा तू सूर || तो कर्णमधुर  | स्वर 'आई' ||११|| 'शिल्प' साकारले| तुझ्या स्पर्शामृते || प्राण तू फुंकले| पाषाणी या ||१२||


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