स्त्री
स्त्री
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स्त्री जन्मच असा
टाके विराण भुमी फुलवून...!
कुटुंबासाठी स्वतः
झिजे पायरी होऊन...!
स्त्री जन्मच असा
टाके विराण भुमी फुलवून...!
कुटुंबासाठी स्वतः
झिजे पायरी होऊन...!