महाशिवरात्र
महाशिवरात्र
देवा तुझ्या खुणा
खुणावते मज
डोर बघतो मी
छत्र भाव श्रद्धेन
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भोळा भोला तु
सुख आनंदाच सार
निर्मित ओमकार
संगीत राजा' मती भाष्य
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नटराज नर्तक देवा
डोल एक ख़ुशीतं जगण्याच
देतो भावसार मन मुक्ताचा
अंधार काळातीलं दिवा तु
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विष दुःखाचे पिऊनि
अभय करतो मोकळी वाट
मर्यादी नयन उघडे प्रकुती
अत्याचारी स्वतः होही भस्म
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भव शंखनाद तुच देवा
आदीशक्ती वावर' तन मन धना
ऊर्जा मिळे युद्ध लढण्यास
बोलें हर हर महादेव
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लेण्या मंदिर आविष्कार
जग झाले चक्राकार
असं भोला बम भंडारी
आले महाशिवरात्री पर्व
देई हार्दिक जिणं शुभेच्छाच
प्रकाश प्रकाश आनंददायीचा
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