भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
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भ्रष्टाचार भस्मासुर | भयंकर तो असुर |
राज्य त्याचे सर्वदूर | कलियुगात आले ||
क्षेत्र एक ना उरले| भ्रष्टाचाराने नासले |
असत्य ते पसरले |भ्रष्टता जागोजागी||
ऱ्हास नैतिक मूल्यांचा | नाही टिकाव खऱ्यांचा |
ना धाक त्या कायद्यांचा | असे मान भ्रष्टांसी ||
आज हाच भ्रष्टाचार | झाला आहे शिष्टाचार |
कसा वाईट आचार | सर्वच करताती ||
भ्रष्टाचारा नाही अंत |आता हीच फक्त खंत |
जन्मा यावे खरे संत | निर्मिण्या सदाचारी ||