लेखक: वेरा पनोवा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास प्रस्थान से पूर्व की रात लेखक: वेरा पनोवा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास प्रस्थान से पूर्व की रात
बाबुजी तो कल रात चल बसे भईया.. हम उनके इकलौते बेटे हैं.. हमारे हाथों मुखाग्नि मिल जाए बस यही सोच जहा... बाबुजी तो कल रात चल बसे भईया.. हम उनके इकलौते बेटे हैं.. हमारे हाथों मुखाग्नि मि...