लेखक – मरीना द्रुझीनिना अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक – मरीना द्रुझीनिना अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
जिंदगी इतनी उलझी हुई है अब पता चला, अब ना वो तारे मिलते है आसमां में, ना नाना जी की गोद और ना वो साइ... जिंदगी इतनी उलझी हुई है अब पता चला, अब ना वो तारे मिलते है आसमां में, ना नाना जी...
अब मेरी कशिश न खींच पाएगी तुझे तुझे रास आ गयी दुनिया मैं बुत बनकर बैठी रही तुझे भा गयी गेर पगडं... अब मेरी कशिश न खींच पाएगी तुझे तुझे रास आ गयी दुनिया मैं बुत बनकर बैठी रही त...
विनीत -सुनीता एक दूसरे को देखकर पहले मंद-मंद मुस्कुराए जो बड़े जोर की हंसी में बदल गई। विनीत -सुनीता एक दूसरे को देखकर पहले मंद-मंद मुस्कुराए जो बड़े जोर की हंसी में ब...