आज का समाज यदि कल के साहित्य का नियमक है तो कल का साहित्य आज के समाज के रूप का। आज का समाज यदि कल के साहित्य का नियमक है तो कल का साहित्य आज के समाज के रूप का।
कला कोई वाचाल या कर्मकांडी कला नहीं है कला कोई वाचाल या कर्मकांडी कला नहीं है
तारीख़ है तो बदली थी पर हम ख़ुश थे पर क्यों ख़ुश थे क्योंकि तब शायद हम बेफ़िकर थे। तारीख़ है तो बदली थी पर हम ख़ुश थे पर क्यों ख़ुश थे क्योंकि तब शायद हम बेफ़िकर थ...
अपना और उनका जीवन खेल समझ रहे हो। स्वतंत्रता का मतलब जिम्मेदारी है, उद्दंडता नहीं। अपना और उनका जीवन खेल समझ रहे हो। स्वतंत्रता का मतलब जिम्मेदारी है, उद्दंडता नही...
किसी का इंतज़ार किए बिना भी हम अपनी जिंदगी आसानी के साथ जी सकते हैं। किसी का इंतज़ार किए बिना भी हम अपनी जिंदगी आसानी के साथ जी सकते हैं।
मेरे परान को कहां आराम है,आपको तो पता ही ठहरा सब मेरे परान को कहां आराम है,आपको तो पता ही ठहरा सब