पापा की मौत के बाद वो अपने घर गयी, तेहरवीं की जोर शोर से तैयारी देख उसे दुःख हो रहा था, तेहरवीं पर ... पापा की मौत के बाद वो अपने घर गयी, तेहरवीं की जोर शोर से तैयारी देख उसे दुःख हो ...
उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था की उसके पिता (रामजतन ) अब नहीं रहे. उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था की उसके पिता (रामजतन ) अब नहीं रहे.
मौत उसके बस में होती तो वह उसे अभी गले लगा लेती। मौत उसके बस में होती तो वह उसे अभी गले लगा लेती।
सभी गाँव वालों ने अब तेरहँवी को ऐच्छिक कर दिया था जिसकी गुंजाइश हो वह करे. सभी गाँव वालों ने अब तेरहँवी को ऐच्छिक कर दिया था जिसकी गुंजाइश हो वह करे.