"काश ! मैं समय रहते समझ पाता कि मौसमी पौधे कभी भी तुलसी नहीं बन सकते।" "काश ! मैं समय रहते समझ पाता कि मौसमी पौधे कभी भी तुलसी नहीं बन सकते।"
क्या अभी तक मैं सबके इशारों पर ही चलूंगी ? शायद हां और झिझकके नहीं। क्या अभी तक मैं सबके इशारों पर ही चलूंगी ? शायद हां और झिझकके नहीं।
आज उसे अहसास हो रहा था कि इस समाज में औरत एक वस्तु से अधिक कुछ नहीं है। आज उसे अहसास हो रहा था कि इस समाज में औरत एक वस्तु से अधिक कुछ नहीं है।
किताब, कॉपी, खिलौने की जगह लोहे के भारी भरकम तराजू और बटखरे थे। किताब, कॉपी, खिलौने की जगह लोहे के भारी भरकम तराजू और बटखरे थे।
थोड़े मेरे भी पैसे बच जाएंगे तो मेरा घर अच्छे से चल जाएगा।" थोड़े मेरे भी पैसे बच जाएंगे तो मेरा घर अच्छे से चल जाएगा।"