V. Aaradhyaa

Children Stories Classics Inspirational

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V. Aaradhyaa

Children Stories Classics Inspirational

यू आर हार्ड टास्क मास्टर

यू आर हार्ड टास्क मास्टर

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 " सुबह-सुबह तो अच्छी नींद आती है...और इसी वक्त चुड़ैल को आना होता है !" रितिका जानती थी यह किसकी आवाज़ है...

 तभी तो कुढ़ गई थी।"रितु दी! उठो आपको पापा बुला रहे हैं!""उफ्फ्फ कितनी तेज़ और नुकली आवाज़ है इस नित्ती की!"

रितिका अपने कान पर तकिया रखते हुए बड़बड़ाई। मोबाइल देखा तो ....साढ़े आठ बज गए थे।ओह,आज फिर रितिका को सुबह उठने में देर हो गई तो उसने सोचा कि अब अगर वह चाय पीने जाएगी तो पापा से दो बातों के लिए डांट खाएगी। एक तो देर से उठने के लिए दूसरा नाईट गाउन में बाहर आने के लिए। अभी तो पापा वॉक करके आ चुके होंगे। इसलिए रितिका सीधे नहाने जाने का सोच ही रही थी।

पर इस तभी छुटकी नित्ती का क्या करे वह तो जाकर सबको बता ही देगी कि,

" अभी तक रितु दी सो रही हैं!"नित्ती अभी कमरे में अपने स्पोर्ट्स शू पहनने आई थी और उसने बताया कि वह पापा के साथ टेनिस खेलने जा रही थी। आज शनिवार होने की वजह से नित्ती की छुट्टी थी इसलिए पापा सेकंड हाफ में ऑफिस जायेंगे। रितिका एकदम से खुश हो गई। मतलब अब वह कुछ देर और सो सकेगी और उसे दिन में भी नाईट गाउन पहने होने की वजह से पापा से डांट नहीं खानी पड़ेगी।

उसे अभी भी हँसी आ गई ज़ब पापा उसे डांटकर कहते थे कि ये नाईट गाउन है,इसे रात में पहना जाता है!"

वैसे पापा ने कहा तो सही पर उनके सख्त अनुशासन में रितिका को मज़ा नहीं आ रहा था। वह तो बस इंतज़ार कर रही थी कि कैसे भी कॉलज़ शुरू हो और वह हॉस्टल चली जाए। फिर ना ये बंदिशें होंगी ना रोक टोक। अपनी मर्ज़ी से सुबह देर तक सो पायेगी और रोज़ नहाकर नाश्ता करने से भी छुट्टी। चाहो तो नहाओ, चाहो तो मत नहाओ।पापा के इसी सख़्ती की वजह से तो उसने और कुणाल भैया ने उनका नाम हिटलर रखा है और इस घर को तलवार भवन कहते हैँ।

 भैया तो मज़े से हॉस्टल में रह रहा है और मुझे यहाँ पापा के सो कॉल्ड डीसीप्लीन्ड लाइफ में मन मारकर रहना पड़ रहा है। रितिका ने सोचा और दुबारा सो गई।

आज मम्मी भी रितिका की नींद की दुश्मन बन गई थी। क्योंकि वह थोड़ी देर बाद उसे उठाने आ गई। आज पापा ने सबको संडे स्पेशल ब्रेकफ़ास्ट एक साथ करने को बुलाया था।

वह मन मारकर उठी ,फटाफट नहाया और ज़ब तक नाश्ते की टेबल तक पहुँची, पापा भी आ चुके थे। अब फिर एक घंटा लेक्चर पिलायेंगे, रितिका ने सोचा।

आज पापा बड़े खुश नज़र आ रहे थे।रितिका का पिलानी कोलेज़ में एडमिशन हो चुका था।और उसे हॉस्टल में भी सीट मिल गई थी।

 रितिका सोच रही थी कि बस अब इसहार्ड टास्क मास्टर से फुर्सत मिलेगी। अक्सर रितिका अपने पापा को कहती थी..." पापा आप बड़े हार्ड टास्क मास्टर हो बहुत मेहनत करवाते हो। " तब पापा प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरकर कहते कि..

"मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता।"

सुनकर रितिका उस वक़्त तो बहुत खुश हो गई की अब बस कुछ दिन और।

उसके हॉस्टल जाने की बात से माँ रोने लगी पर पापा ने अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए कहा कि,"आज से पंद्रह दिन बाद तुम हॉस्टल चली जाओगी, इसलिए अभी से ऐसे रहना शुरु कर दो ताकि प्रैक्टिस बनी रहे।

उस दिन रात को रितिका को नींद नहीं आई पूरे रात कॉलेज और हॉस्टल की मज़ेदार ज़िन्दगी के बारे में सोचती रही।अब लगभग हर रात रितिका को कोलेज़ होस्टल के ही सपने आने लगे थे।

इन दिनों रितिका ने गौर किया की पापा और मम्मी अक्सर उसे कॉलेज में कैसे रहना है ये सिखाते रहते थे।करते करते वह दिन भी आ गया ज़ब उसे हॉस्टल जाना था । सारी पैकिंग लगभग पूरी हो चुकी थी तब एक रात पहले पापा रितिका के कमरे में आए और उसे बड़े प्यार से रितिका को समझाने लगे,

"बेटा, बाहर जा रही हो वहाँ किसी पर एकदम से भरोसा मत करना। अपने पैसे संभालकर रखना और किसी को अपनी कोई कमज़ोरी मत बताना वरना सब तेरा मज़ाक़ उड़ाएंगे। और सबसे ज़रूरी बात,

बेटा वहाँ तुम पढ़ने जा रही हो तो समय मत गँवाना।यह समय भविष्य निर्माण का है इसे व्यर्थ मत गँवाना। और अपने इस पापा के लेक्चर देनेवाली आदत के लिए माफ कर देना। अब रितिका को आँसू रोकना मुश्किल हो गया।रोते रोते उसके मुँह से निकला,

बट आई लव यू डैडी।

अक्सर वह यह गाना अपने पापा के साथ. मिलकर गाती थी।पापा ने भी जवाब दिया,"आई ऑलवेज लव यू माई प्रिंसेस "

इसके साथ ही दोनों हँस पड़े।बड़ा ही भावुक हो गया था माहौल। पापा और बेटी दोनों की आँखों में आँसू थे और. होंठ मुस्कुरा रहे थे।हॉस्टल जाने से पहले पापा ने उसे माँ सरस्वती की छोटी सी एक प्रतिमा दी थी जिसे रितिका ने आज तक सँभालकर रखा हुआ है। बाद में रितिका ने उस प्रतिमा के साथ पापा की फोटो लगाकर फ्रेम करवा दिया था।इसे ही वह अपना आदर्श मानती आई थी और पापा के कहे जिन लफ्जों से वह चिढ़ जाया करती थी। हॉस्टल प्रवास के दिनों से लेकर आज तक वह उक्तियाँ रितिका के जीवन का आदर्श बन चुके हैं।आज रितिका पढ़लिखकर डॉक्टर बन गई है। पापा अब नहीं रहे तो रितिका उनकी यादों को समेटकर कहती है,

"चाहे आप कितना भी डांटते थे पर उसमें जो प्यार छुपा रहता था... वह अनमोल है।

आई लव यू डैडी!"

सच....

पापा का प्यार सख़्ती और अनुशासन के साथ प्यार का अथाह सागर समेटे हुए होता है, जिसे एक बेटी अपने जीवन की सबसे बड़ी थाती समझकर साथ में रखती है।रितिका ने भी अपने पापा की कही हर बात को अपने जीवन के आदर्शोँ में समाहित कर लिया था। हर पिता को कोटिशः नमन


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