Shailaja Bhattad

Others

3.5  

Shailaja Bhattad

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वशीभूत- लघुकथा

वशीभूत- लघुकथा

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"सुनो अम्मा यह जो गले और हाथ में आपने गहने पहने हैं इन्हें उतारकर अपने बैग में रख लो, कोई भी गले से मंगलसूत्र खींच सकता है, भीड़ में हाथों से कंगन निकाल सकता है।" बहुत समय से पीछा कर रही दो महिलाओं ने एक वृद्ध महिला से कहा।

 अम्माजी के मना करने पर भी वे महिलाएं बार-बार कहती रहीं। घर पहुंचने पर जब सभी ने डर भरे आश्चर्य से गहनों के बारे में पूछा तब उन्हें होश आया। न जाने कब और कैसे वह उनके वशीभूत हो गई थी लेकिन अब न उनके पास गहने थे और ना ही उनके हाथ में बैग।

 


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