वफ़ादार ट्रॉय

वफ़ादार ट्रॉय

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मैं कम्पाउण्ड में घुसा। उसने खिड़की से मुझे देखा और चौथी मंज़िल से हाथ हिलाने लगा।

मैंने और मेरे दोस्त ने स्कीइंग का प्रोग्राम बनाया। मैं सुबह उसके यहाँ गया। वह बड़ी बिल्डिंग में रहता है – पेस्तेल रोड पर।

 “थोड़ा रुक – अभी आता हूँ।

और मैं कम्पाउण्ड में इंतज़ार कर रहा हूँ, दरवाज़े के पास। अचानक ऊपर से सीढ़ियों पर ज़ोर-ज़ोर से खड़खड़ाहट होने लगी।

खट् ! गड़गड़ ! त्रा-ता-ता-ता-ता-ता-ता-ता-ता-ता ! कोई लकड़ी की चीज़ सीढ़ियों पर खट्-खट् करते हुए घिसट रही है, जैसे कोई झुनझुना हो।

 “ये कहीं,” मैं सोचने लगा, “मेरा दोस्त तो अपनी स्की और डंडों के साथ नहीं गिर गया, सीढ़ियाँ तो नहीं गिन रहा है ?”

मैं दरवाज़े के और पास पहुँचा। देखने के लिए कि सीढ़ियों पर ये क्या लुढ़क रहा है ? इंतज़ार कर रहा हूँ।

और देखता क्या हूँ : दरवाज़े से बाहर निकल रहा है एक धब्बेदार कुत्ता – बुलडॉग। बुलडॉग पहियों पर।

उसका धड़ खिलौने की गाड़ी से बंधा था – ये था ट्रक - ‘गाज़िक’।

और अगले पंजों से बुलडॉग ज़मीन पर चल रहा था – दौड़ रहा है और ख़ुद को पहियों पर घुमा रहा है।

चेहरा चपटा, झुर्रियों वाला। पंजे मोटे-मोटे, चौड़े खुले हुए। वो दरवाज़े से बाहर निकला, उसने गुस्से से इधर-उधर देखा। और तभी लाल बिल्ली कम्पाउण्ड पार कर रही थी। कैसे भागा बुलडॉग बिल्ली के पीछे – सिर्फ पहिए पत्थरों पर और कड़ी बर्फ पर उछल-कूद रहे थे। उसने बिल्ली को गोदाम वाली खिड़की के बाहर भगा दिया, और ख़ुद कम्पाउण्ड में घूमने लगा – ओने-कोने सूंघते हुए।

अब मैंने पेन्सिल और नोट-पैड निकाला, सीढ़ी पर बैठ गया और उसकी तस्वीर बनाने लगा।

मेरा दोस्त अपनी स्की लेकर बाहर आया, देखा कि मैं कुत्ते का चित्र बना रहा हूँ, और बोला:

 “बना उसका चित्र, चित्र बना – ये साधारण कुत्ता नहीं है। ये अपनी बहादुरी की वजह से अपाहिज हो गया है।”

 “ऐसा कैसे ?” मैंने पूछा।

मेरे दोस्त ने बुलडॉग की गर्दन सहलाई, उसके दांतों में एक चॉकलेट दी और मुझसे बोला:

 “चल, मैं रास्ते में तुझे पूरी कहानी बताऊँगा। क़ाबिले तारीफ़ किस्सा है। तू यक़ीन ही नहीं करेगा।”

 “तो,” जब हम गेट से बाहर निकले तो दोस्त ने कहा, “सुन।”

 “इसका नाम है ट्रॉय। हमारी भाषा में इसका मतलब होता है – वफ़ादार।

 और बिल्कुल सही रक्खा था उसका नाम।

एक बार हम सब लोग अपने-अपने काम पर चले गए। हमारे फ्लैट में सब लोग काम करते हैं : एक स्कूल में टीचर है, दूसरा पोस्टऑफ़िस में टेलिग्राम्स भेजता है, हमारी पत्नियाँ भी काम करती हैं, और बच्चे पढ़ने जाते हैं। तो, हम सब निकल गए और ट्रॉय अकेला रह गया – फ्लैट की रखवाली करने।

किसी चोर-उचक्के ने भाँप लिया कि हमारा फ्लैट ख़ाली है, उसने दरवाज़े से ताला निकाल दिया और लगा मनमानी करने।

उसके पास एक बहुत बड़ा बोरा था। उसके हाथ जो भी लगता, वह सब कुछ उठाता जाता और बोरे में ठूँसता जाता, उठाता जाता और ठूँसता जाता। मेरी बन्दूक बोरे में चली गई, नए जूते, टीचर की घड़ी, त्सैसा-बाइनॉक्युलर्स, बच्चों के फेल्ट-बूट्स।

छह कोट, जैकेट्स, हर तरह के फुल-जैकेट्स उसने एक के ऊपर एक पहन लिए : बोरे में जगह भी नहीं बची।

और ट्रॉय भट्टी के पास लेटा है और ख़ामोश है – चोर ने उसे नहीं देखा था।

ट्रॉय की ऐसी आदत है कि वह आने तो चाहे जिसे देता है, मगर जब बाहर जाने का सवाल आता है – तो, बिल्कुल नहीं।

तो, चोर ने हमारा सारा सामान ले लिया। सबसे बढ़िया, सबसे महँगा सामान ले लिया। अब उसके बाहर जाने का समय हो चला। वह दरवाज़े की ओर लपका।।।

 और दरवाज़े में खड़ा है – ट्रॉय।

खड़ा है – चुपचाप।

और ट्रॉय का चेहरा – मालूम है कैसा हो रहा था ?

छलांग लगाने को तैयार !

खड़ा है ट्रॉय, उसने नाक सिकोड़ी, आँखें खून बरसाने लगीं, और मुँह से नुकीला दाँत बाहर निकला।

चोर मानो फ़र्श से चिपक गया। बाहर जाने की कोशिश तो कर !

और ट्रॉय ने अपने दाँत निकाले, शरीर को गोल-गोल किया और एक किनारे से उसकी ओर आने लगा।

हौले-हौले आगे बढ़ रहा है। वह इसी तरह दुश्मन को डराता है – चाहे वो आदमी हो या कुत्ता हो।

चोर, ज़ाहिर है, बुरी तरह डर गया, इधर-उधर भागने लगा, और ट्रॉय उसकी पीठ पर कूदा और एक ही बार में उसके छहों कोट काट दिए।

तुझे मालूम है, बुल्डॉग कैसे ख़तरनाक ढंग से पकड़ते हैं ?

आँखें भींच लेते हैं, जबड़े बन्द कर लेते हैं, जैसे ताला बन्द कर दिया हो, और दाँत भी नहीं खोलते, चाहे कोई उन्हें मार ही क्यों न डाले।

चोर कमरे में भाग रहा है। दीवार पर अपनी पीठ घिसट रहा है। फ्लॉवर पॉट्स से फूल, शेल्फ से किताबें फेंक रहा है। कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। ट्रॉय उस पर झूल रहा है, जैसे कोई वज़न लटक रहा हो।

ख़ैर, आख़िर में चोर ने भाँप लिया, वह अपने छहों कोटों से आज़ाद हो गया और ये पूरा ढेर, बुलडॉग समेत खिड़की से बाहर फेंक दिया !

जानता है, चौथी मंज़िल से !

गिरा बुलडॉग सिर के बल कम्पाऊण्ड में।

गाढ़ा-गाढ़ा पानी चारों ओर उछला, सड़े हुए आलू, मछलियों के सिर, हर तरह की गन्दगी।

ट्रॉय हमारे छहों कोटों समेत हमारे गन्दे पानी के गड्ढे में गिरा जो उस दिन लबालब भरा था।

देख, कैसा संयोग था ! अगर वो किसी पत्थर से टकराता – सारी हड्डियाँ चूर चूर हो जातीं और मुँह से कूँ-कूँ भी न कर पाता। फ़ौरन ही मर गया होता।मगर यहाँ तो ऐसे हुआ मानो किसी ने जान बूझ कर उसके सामने गन्दे पानी का गड्ढा रख दिया हो – जिससे वह आराम से गिर सके।

ट्रॉय गड्ढे से बाहर निकला, उसने अपने आपको आज़ाद कर लिया -जैसे उसे कुछ हुआ ही न हो। और सोच, उसने फिर से चोर को सीढ़ियों पर पकड़ लिया।

फिर से उससे चिपक गया, इस बार पैर से।

अब तो चोर ने ख़ुद ही हाथ-पैर ढीले कर दिए, वह चीख़ा, कराहा।

चीख़ें सुनकर सभी फ्लैट्स से लोग भागे-भागे आए: तीसरी मंज़िल से, और पाँचवीं मंज़िल से, और छठी मंज़िल से, चोर दरवाज़ों से भी।              

चोर भयानक रूप से चीखे जा रहा था।

 “कुत्ते को पकड़ो। ओ-ओ-ओय ! मैं ख़ुद ही पुलिस में चला जाऊँगा। इस वहशी शैतान को मुझसे दूर हटाओ !

कहना आसान है – दूर हटाओ।

दो आदमियों ने बुलडॉग को खींचा, और उसने सिर्फ़ पूंछ हिलाई और अपने जबड़े और भी ज़्यादा कस कर बन्द कर लिए।

बिल्डिंग वाले पहली मंज़िल से एक चिमटा लाए, उसे ट्रॉय के दाँतों के बीच में रखा। तभी जाकर उसके जबड़े खुले।

चोर सड़क पर आया – चेहरा फक्, बुरी तरह काटा गया, थरथर कांप रहा है, पुलिस वाले का सहारा लिए खड़ा है।

 “क्या कुत्ता है,” बोला, “क्या कुत्ता है !”

चोर को पुलिस स्टेशन ले गए। वहाँ उसीने बताया कि क्या-क्या हुआ था।

शाम को मैं काम से वापस लौटा। देखता क्या हूँ कि दरवाज़े का ताला खुला है। फ्लैट में हमारे सामान से भरा हुआ बोरा पड़ा है।

और कोने में, अपनी हमेशा की जगह पर ट्रॉय लेटा है। पूरा गन्दा, गन्धाता हुआ।

मैंने ट्रॉय को अपने पास बुलाया।

मगर वो तो चल नहीं पा रहा था।।।घिसट रहा है, कूँ-कूँ कर रहा है।

उसके पिछले पैर उखड़ गए थे।

तो, अब हमारे फ्लैट के सब लोग बारी बारी से उसे घुमाने ले जाते हैं। मैंने उसे पहिए बिठा दिए। वो ख़ुद ही पहियों पर सीढ़ियों से उतरता है, मगर उन पर चढ़कर वापस नहीं जा सकता। किसी को पीछे से ये गाड़ी ऊपर उठानी पड़ती है। अगले पंजों से तो ट्रॉय ख़ुद ही चल लेता है।

तो इस तरह से, अब कुत्ता पहियों पर रहता है।"                                                                      


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