उस आईने से
उस आईने से
रीता, तुमने मेरे कपड़े प्रेस किये...,अरे सॉक्स कहाँ रख देती हो...न रुमाल मिल रहा, न बेल्ट...
कब अक्ल आएगी तुम्हें...
मनु चीख रहा था और रीता झट अपने पल्लू से हाथ पोंछती घबराई सी आई।
कबर्ड में दाई तरफ रखी सब चीजें मनु को पकड़ा दीं...
कहाँ छुपा के रखी थीं सब...कितनी बार कहा है मुझे नज़र के सामने चाहिए सब...टाइम की भी कोई वैल्यू होती है, मेरा तुम्हारी तरह नहीं है...सारा दिन घर में मज़े से रहूं।
आपने ही तो कहा था कल कि सब चीजें इस तरफ, दाहिनी साइड में रखने को...वो धीरे से बोली।
ठीक है ठीक है, काम की व्यस्तता में दिमाग से निकल गया होगा।
चलो, अब मुंह क्या देख रही हो मेरा, जल्दी से ब्रेकफास्ट लगाओ...परांठा जरा करारा सा बनाना और सब्जी में तीखा कम रखना, मुंह जल जाता है इतनी मिर्च डाल देती हो।
जी...आ जाइये तैयार होकर...लगाती हूँ...
सुनो, ये शर्ट प्रेस की है तुमने...देखना कैसी लग रही है... जगह जगह से मुसी हुई...एक काम ठीक से नहीं कर पाती तुम।
रीता चुपचाप, उससे शर्ट लेकर फिर से प्रेस करने लगी।
मनु, जब ऑफिस चला गया तो रीता ने गहरी सांस भरी, हर तरफ कुछ न कुछ फैला हुआ था, सब कुछ सँगवा के रखती हूं...फिर नहा धो के दोपहर का खाना बनाती हूँ, बच्चे स्कूल से आ जाएंगे तब तक...फिर शाम...कितना काम है, सोचकर उसे पसीने आ गए।
अचानक, उसकी कमर से निचले हिस्से में बड़ी तेज़ दर्द शुरू हो गया और उसके मुंह से आह निकल गई।
उसकी मेड आ गई थी तब तक, बड़ी उम्र की थी वो, बड़े अपनत्व से बोली-आप कितनी बार कह चुकी हैं कि डॉक्टर को दिखाएंगी, गई नहीं अब तक।
इनको वक्त ही नहीं मिला अभी तक, जाऊंगी किसी दिन...वो मरी सी आवाज़ में बोली।
ये कोई जुकाम ,बुखार नहीं है जो आप टाल रही हैं, कहीं कोई बड़ी दिक्कत न हो जाये बीबी जी...उसने चिंता जताई।
रीता के होंठों पर हल्की सी मुस्कराहट तैर गई उसके फिक्र करने पर...जरूर दिखाऊंगी अम्मा, तुम काम करो।
उसके पास से हटकर वो सोचने लगी अपने पति मनु के बारे में कि कितना अजीब आदमी है वो, मुझे सुबह शाम आईना दिखाता है, कभी खुद को भी देखा है उस आईने में???
