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Dr Jogender Singh(jogi)

Children Stories

4.0  

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टूटा दुना

टूटा दुना

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 गांव में पानी की बहुत दिक्कत है, सबसे पास का झरना एक किलोमीटर नीचे है। गर्मियों में सूख जाता है। पानी लेने एक किलोमीटर नीचे जाकर , फिर बर्तन उठाकर वापिस आना , मेहनत का काम है। आज चार फेरे लगाने पड़ेंगे , स्कूल से वापिस आते मैने रघु से कहा।" अरे यार मुझे पांच या छह भी लगाने पड़ सकते हैं। "रामू बोला। तब खेलेंगे कब? रघु बोला। स्कूल का काम भी तो करना है? पर यार सुबह पानी खतम ही था , पानी तो भरना पड़ेगा। ठीक ऐसा करते हैं , सब छह फेरे लगाएंगे । नीचे जाते जाते रेस करेंगे । खेल भी हो जाएगा और पानी भी भर जाएगा। यह ठीक रहेगा।"

घर जा कर , फटाफट बस्ता टांगा ," दादी खाने को दो जल्दी ।" "बड़ी जल्दी है?" दादी बोली "अरे पानी भरना है , फिर पढ़ना भी है।

" ठीक है हाथ तो धो ले।" जल्दी जल्दी खाकर तीनों अपने अपने बर्तन लेकर दौड़े । पानी भर कर वापिस आए। फिर दौड़ । पांच फेरे के बाद रघु के पास कोई बर्तन नहीं है , अब क्या करें? उसने कोठरी में जा कर देखा, मिट्टी का दुना रखा है (दुना मिट्टी का घड़ानुमा बर्तन जिसमें घी/मक्खन रखा जाता है) "इसको ले चलता हूं, अरे अपनी मम्मी से पूछ ले। अरे भर लाऊंगा इसी में , खाली तो है।"

मैने अपना डालडा का डिब्बा उठाया दस लीटर का, रामू के पास पीतल का बर्तन है , रघु दुना ले लिया। छठे फेरे में आने जाने दोनों की दौड़ तय हुई। दौड़ कर तीनों , अपने अपने बर्तन भरने लगे। रघु के हाथ से चिकना दुना छूट गया , पत्थर से टकरा कर चूर चूर। तीनों की शक्ल देखने लायक । सन्नाटा छा गया। रघु सबसे पहले बोला , मां नहीं छोड़ेगी। बदहवास हो गया । हम तीनों के चेहरे का रंग उड़ गया। "मैं घर नहीं जाऊंगा" , रघु यही रट लगाए हुए है। काफी देर समझाने के बाद घर आने को तैयार हुआ। आधे रास्ते में दूसरी तरफ़ चला गया " मैं छुपने जा रहा हूं , तुम लोग ना बताना" और खेत की तरफ़ भाग गया। अपने अपने घर में चुपचाप बैठे हैं। मैं और श्यामू, तभी रघु की मम्मी आई , रघु नहीं दिख रहा, तुम लोगों ने देखा । नहीं हम लोगो ने नहीं देखा। "पानी भरने तुम सब इकठ्ठे गए थे ना।" "हां पर वापिस आ गए थे।"

जब अंधेरा घिरने लगा और रघु नहीं आया, तो बताना पड़ा कि रघु से दुना टूट गया और वो खेत में छुपा है। रघु को ढूंढने हम सब गए । लकड़ियों के ढेर के पीछे छिपा था ।डर भी रहा था, अंधेरे से , एक आवाज़ में ही बाहर आ गया। जब रघु की मम्मी ने बताया दुना तो पहले से ही टूटा था (क्रैक था) तो हम लोगो का हंस हंस कर बुरा हाल हो गया। टूटे दुने को फिर से तोड़ दिया था।


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