Harish Bhatt

Others

3.5  

Harish Bhatt

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टपका

टपका

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साहेब, बरसात से नहीं टपके से डर लगता है। न मालूम कहां- कहां से और कब वार करेगा। टपका वो बला है जो न जीने देता है और ना ही मरने देता है। बरसात को तो जब आना होता है तब आ जाती है उस पर किसी का जोर नहीं वह तो प्रकृति का अपना चक्र है। लेकिन टपका तो इंसान का पैदा किया हुआ है। बस एक यही कमी टपके की ताकत बन जाती है और वह बरसात में अपना असली रूप दिखा देता है। जिस जगह पर हमने कमी छोड़ी होगी उसी जगह से टपके की आवक शुरू होती है। फिर लगाते रहो टल्ले पर टल्ला। ठीक वैसे ही जैसे चुनाव के वक्त बहुमत की सरकार नहीं चुनी तो अगले 5 साल तक बहुमत के लिए लगाते रहो जुगाड़ बाजी। इस जुगाड़ बाजी का सबसे ज्यादा खामियाजा जनता ही भुगतती है। और मजे ले जाते हैं टपके टाइप छुटभैया जी। क्योंकि वो जनता की नस नस से वाकिफ होती है। मतदान के वक्त उन्होंने ही जनता को साधा था, हाईकमान ने नहीं। बादलों की मेहनत और बरसात कृपा के बीच खौफ टपके का। बरसात हो या सरकार सबके लिए एक समान होती है बस टपका हो या छुटभैया वह अलग-अलग लोगों के लिए अलग अलग ढंग से अपना रंग दिखाते हैं। इसीलिए सरकार हो या बरसात से डरने की जरूरत है।


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