तरह तरह की मम्मियां
तरह तरह की मम्मियां
आज आशा के घर पर किट्टी पार्टी थी उसकी सारे दोस्त इकट्ठे हुए।
सब बहुत मौज मस्ती कर रहे थे।
बहुत सारे वाद विवाद भी चल रहे थे। बहुत सारे हंसी मजाक भी चल रही थी।
उसी बीच में सब ने बोला आज अपन नई और पुरानी मम्मी दोनों और कितनी तरह की मम्मियां होती हैं इस विषय पर अपन सब चर्चा करते हैं। हमेशा हाउजी और ताश ऐसा सब खेलने वाली सब सहेलियों को आशा का यह सुझाव बहुत पसंद आया।
और उसने बोला की आधा घंटा है तो जो भी अपने विचार पर रखना चाहिए । हमको बताना चाहे किसने किस कितनी तरह की मम्मी देखी हैं।
पुरानी और मम्मी नयी मम्मी में क्या फर्क है, तो मजा ही आ जाएगा।
और आज के बाद हमेशा अपने के वाद विवाद का नया विषय भी रखेंगे। सब ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ में इस बात को स्वीकार किया ।
और आज के विषय पर बोलने के लिए उन लोगों ने पार्सल गेम खेला और चिट निकाली आज की चिट विमला के नाम की निकली थी।
सब ताली बजाने लगे बोले हां तुम सुनाओ हमको कुछ सुनाओ।
तो विमला ने उनको जो वह समझती थी यह सब वर्गीकरण करके और अपनी बात को समझाया कि उसने जिंदगी में बहुत सारी तरह की मम्मियां देखी हैं।
विमला ने कहा अभी तक मैंने जिंदगी में इतनी तरह की माएं देख ली है ,कि आज कुछ अपने विचार आपको बताती हूं जो मैंने लिख रखे हैं सबने बहुत तालियां बजाई बोले हां बताओ तो विमला ने शुरुआत करी
क्योंकि उनकी किटी पार्टी में सब उम्र के लोग थे इसलिए उन्होंने कहा यह लेख कोई व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है। इसीलिए ध्यान रहे कि कोई भी इस को अपने ऊपर ना लें : चलो मैं शुरू करती हूं फिर उसने कहना शुरू करो यह मेरा वर्गीकरण है
1 - 70 साल से ऊपर की उम्र की माएं;
उस समय घर में चार पांच 7 बच्चे होते थे व संयुक्त परिवार था ।तो माओं को अपने बच्चों की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता था। कहीं-कहीं माए अपने बच्चों के प्रति बहुत पजेसिव होती थी ,तो उनको बहुत ही ताने सुनने पड़ते थे ।
2- 60 से 70 साल की माएं :
इस इस ग्रुप में मैं भी आती हूं । इस ग्रुप की माएं
1.पर्सनली अपने बच्चों के खान-पान पढ़ाई वे लालन-पालन पर ध्यान देने वाली होती हैं।
2. बिंदास अपनी जिंदगी जीने वाली ,किटी पार्टी और पार्टी ओं से फुरसत नहीं मिलती है इन्हें अपने ऊपर ही ज्यादा ध्यान देना होता है ।और बच्चों की पढ़ाई से कोई लेना-देना नहीं होता ।उनके लिए ट्यूशन लगा देने की हो गई
पूरी जिम्मेवारी
3- ऐसी माएं जो बच्चों का ध्यान पढ़ाई खाने, इन सब में उनकी रुचि और उनकी परवरिश का ध्यान रखते रखते अपने आप को ही भूल जाती है। और इतना ध्यान रखने लगने की बच्चा परवश हो जाए , अपने आप से कुछ ना कर सके । सब पूरा मां पर ही डिपेंडेंट हो जाए ।
4 - वह मम्मी आ जो बच्चों को अच्छी परवरिश, पढ़ाई ,खाने व खेल व दुनियादारी सिखाते हुए देती हैं वे सब में उनको घर और रिश्तेदारी में बहुत से ताने सुनने पड़ते हैं मगर यह मजबूत मनोबल की होती हैं। और पॉजिटिव सोच वाली मम्मी। जो बच्चों की और अपनी दोनों की पसंद का ध्यान रखकर काम भी करवाती हैं उनसे ।और समाज का अच्छा नागरिक भी बनाने में मदद करती है। वह अपने मजबूत मनोबल व सही परवरिश के कारण सफलता भी पाती हैं
40 - 60 साल की मम्मी ओके इस ग्रुप में मुझे बहुत तरह की मम्मियां मिली,
1 वे जो अपने तो जिंदगी के सपने पूरे ना कर पाए ,और अब उन सपनों को बच्चों के माध्यम से पूरा करने के लिए उनके माथे मढ़ दिया है ।पूरे टाइम बच्चों के पीछे किट किट। उनको सुपर पावर पर्सनैलिटी बनाने में दिनभर एक क्लास से दूसरी क्लास में दौड़ आने वाली। और खुद भी दौड़ने वाली ।बच्चों को उनकी पसंद ना पसंद कुछ ना पूछ कर जबरदस्ती का हाथ से खाना खिलाने वाली ना खाए तो पूरा दिन परेशान परेशान रहने वाली। इनका दिन बच्चों से शुरू होता है ।और रात में तो शायद बच्चों के ही सपने देखती है ।
2 मम्मियां जो बच्चों को नौकरों के भरोसे छोड़ किटी पार्टी ,शॉपिंग ,और सोशल प्रोग्राम में बिजी रहती हैं ।जिनको अपने मौज शौक और दिखावे से ही मतलब होता है।
3 जो चाहती हैं बच्चे एकदम वैल्सेट हो फिर ही मैरिज करें ।इस चक्कर में बच्चों की जिंदगी जल्दी ही सेट करने में लग जाती हैं। और 30 साल 40 साल तक के बच्चों की भी शादियां करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती ।और जिन्हें हमेशा वर्तमान से ज्यादा भविष्य का ही डर सताता रहता है बच्चों के बारे ।
4 बच्चों के प्रति अति पजेसिव मम्मी
5 वे मम्मियां जो बच्चों की परवरिश व अपनी जिंदगी में संतुलन रखती हैं।
20 - 39yrs
इस ग्रुप में सभी नई मम्मी आते हैं जिनके बच्चे छोटे से दस 11 साल तक की होते है।
1. जब तक यह लोग घर पर रहती हैं तो बच्चों के आगे पीछे ही घूमती रहती हैं ।उनके जॉब के टाइम का हर्जाना गिल्टी कॉन्शसनेस इस तरह भरती हैं। बच्चे का खाना ,पढ़ना ,खेलना उनकी साधारण मस्ती ,बीमारी ,चोट से परेशान होना। और हमेशा उन्हीं की बातें करना। इस सब में खुद को और घरवालों को भूल जाना ।सब काम अति में करना। बच्चों के मामले में उनकी आया पर विश्वास करना, पर ग्रैंडपेरेंट्स पर विश्वास नहीं करना ।उनकी जिंदगी में दो ही बातें होती हैं मेरा जॉब, दूसरी मेरा बच्चा ।और यही लोग बच्चों के लिए जॉब भी छोड़ देती हैं कभी-कभी तो।
2 जो हाउसवाइज होती है वह भी बच्चों की परवरिश में अपना पूरा समय देती हैं। मगर अपने सपने जो खुद कभी पूरा नहीं कर पाए वह बच्चों से पूरा करवाने के लिए उनके पीछे पड़ जाती हैं।
10 तरह की की क्लास में भेजना ,जंक फूड खिलाना, या ट्यूशन पढ़ाने के लिए सब कुछ मां की मर्जी से करवाना ,जाने कोई एक पुतला हो ।इधर-उधर उधर सब मां की मरजी से करें।
खाना ,खेलना, पहनना ,मस्ती सब कुछ पर कक्षा में पहला नंबर लाए ।और नंबर कम आने पर बच्चे को सजा दी जाती है। जाने पहाड़ टूट पड़ा हो।
3 वह मम्मी या जो भले जॉब में हो या घर में बच्चों को क्वालिटी टाइम देती है ,खाने ,रहने ,पहनने ,पढ़ने ,खेलने और सब में संतुलन रखती हैं ।ना ज्यादा लाड करती हैं, ना ज्यादा डांट फटकार करती हैं। उनके जीवन में सबके लिए जगह होती है। आदर होता है, सम्मान होता है ।यह सब की बात, बड़ों की बातें मानती भी हैं ,सलाह मानते भी हैं ,बच्चों को वह सब कुछ सिखाती हैं। जो एक अच्छे नागरिक के लिए सीखना जरूरी है। ऐसी मम्मी को देखकर उनकी दिनचर्या को देखकर सलाम करने का मन करता है।
4 स्पेशल मज़दूर मम्मी या, हमारे घर पर काम चल रहा था तब इन लोगों की दिनचर्या कोनो बहुत पास से देखने का मौका मिला ।यह लोग बच्चों का बहुत ध्यान रखती हैं। काम करते समय बच्चे को पास में घोड़िए में सुलाती हैं? भूख लगे तो बिस्किट खिलाती हैं ।और बहुत ही प्यार से बच्चों को रखती हैं । इन इन को देख कर ऐसा लगा इतनी कम सुविधाओं में भी इनके बच्चे इतने प्यारे थे। जब इनके बच्चे स्कूल जाने लायक हुए तो उनको गांव में रखा उनके पेरेंट्स के पास। मतलब दादा दादी के पास, और वापस यह लोग काम करने आ जाते हैं ।और भी बहुत तरह की मम्मी आ मिली मगर कुछ ख़ास मैंने आपको बताई ।
71-107yrs इसमें वो. मम्मी आती है
1 जिन्होंने अपनी जिंदगी तो जी ली होती है। जिनको बेटे बहू बेटी दामाद के सहारे रहना होता है ।जो अपने बच्चों से बहुओं से दामाद ओं से इतनी अधिक अपेक्षा रखती हैं, और उनको अपना सब कुछ उनसे करवाना होता है ।उनकी अपने बच्चे भले कुछ ना करें ।मगर उनका अहम इतना ज्यादा होता है कि वे अपनी ही सेवा में रहने वाले बहू और दामाद से बहुत खराब व्यवहार रखती हैं ।और फिर भी उनसे हर हाल में सेवा करवाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं।
2 इनमें से कुछ मम्मियां मुझे ऐसी मिली जो सबसे परिवार से प्यार व सहयोग से रहती हैं। वह सबका प्यार बटोर ती हैं।
3 इस इस ग्रुप के कुछ मम्मी ऐसी मिली जो खाली अपने से मतलब रखती हैं। उनकी देखरेख में कमी ना आए ।बाकी सब जाए भाड़ में ।अपनी प्रॉब्लम्स बढ़ा चढ़ा कर दिखाएंगे। बहुओं को भले कितना भी प्रॉब्लम हो उनको उसकी मदद करने की पड़ी नहीं होगी। अपेक्षाएं खाली उनसे ही होंगी बहू और दामाद से।
4 कुछ मम्मियां धर्म की आड़ में अपनी सारी जवाबदारी परेशानियां अपने बच्चों पर बहू और दामाद पर थोप देते हैं ।
यह बोल कर के वह अपना विषय को पूर्ण करती हैं।
सब जोरदार तालियां बजाते हैं।
बोले बहुत अच्छा बताया वो बोलती हैं और भी बताने को बहुत कुछ है मगर अब तो पेट में चूहे कूद रहे हैं।
चलो भाई अब नाश्ता लगा दो सारी सहेलियां मिलकर के नाश्ता करती हैं हंसी खुशी बातें करती हैं और विमला को बोलती हैं तुमने बहुत अच्छा बताया हम कौन से ग्रुप में आते हैं यह विचार करेंगे और सब अपने अपने घर की और विदा लेते हैं
सबके मन में एक ही बात का सुकून होता है कि आज से हम किटी पार्टी में खाली खेलना और मस्ती करना ही नहीं थोड़े बहुत ज्ञान की बातें भी कर लेंगे हर समय एक विषय रखेंगे जिस पर कोई ना कोई बोलेगा और सब अपने अपने घर की ओर खुशी-खुशी निकलते है
। विशेष टिप्पणी यह टॉपिक बहुत बड़ा है, मुझे मेरे जीवन में जितनी तरह के लोग मिले हैं, मैंने उनका ही वर्णन किया है ।
यह किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं है। मेरा अनुभव और मेरी सामाजिक सोच है धन्यवाद
