तलाश
तलाश
अख़बार में एक खबर थी, “मेरठ में माँ अपने 10 साल से लापता जवान बेटे की खोज में जेल के एक आतंकी में अपने बेटे की तलाश कर रही है।" ख़बर में आगे लिखा था, “जैसे ही वह औरत आतंकी आबिद के पास गयी वैसे ही आतंकी आबिद ने उसे कहा था कि वह उसका बेटा नही है और ना ही वह उसकी माँ है।और उसके बेटे की उससे शक्ल मिलना महज एक इत्तेफाक है।"
एक माँ को अपने खोए हुए बेटे से 10 साल के बाद मिलने की उम्मीद जगी थी और उसी उम्मीद से महिला ने आबिद के चेहरे को फिर से निहारा, लेकिन उसका चेहरा भावहीन ही बना रहा।बेटे के हाथ में गूदे हुए नाम को वह आबिद के हाथो में तलाशने लगी।चेहरे की चोट के निशान और गाल का तिल भी तलाशने की कोशिश की लेकिन आबिद की लंबी दाढ़ी में वे भी नहीं मिले।पैर में लगी चोट के निशान और दूसरे birth marks को भी आबिद के शरीर में ढूंढने की कोशिश में भी उसे नाकामी ही मिली।एक और कोशिश में माँ ने आतंकी आबिद से उसके नाम, जन्म स्थान, पिता का नाम, पढाई - लिखाई के बारे में पूछना शुरू कर दिया पर आबिद ने किसी दूसरे देश के पते और अन्य जानकारियां बताई।
माँ की ममता भी बड़ी अजीब होती है, कोई माँ अपने आतंकवादी बेटे को अपना बेटा मानने से इनकार करती है तो कभी कोई माँ बेटे की ममता में किसी आतंकी के चहरे में अपने गुमशुदा बेटे को तलाश करने लगती है...