स्पष्टीकरण
स्पष्टीकरण
तुम लड़की हो, तुम्हें यह करना है। यह नहीं करना है। बचपन से वह सुनती आ रही थी। लेकिन कभी किसी बात का उसने पलट कर जवाब नहीं दिया। अब वह युवावस्था में पहुंच चुकी थी। लेकिन मम्मी-पापा का टोकना और उसका अंदर ही अंदर परेशान होना बदस्तूर जारी था। उस दिन कोचिंग खत्म होने के बाद जब वह कोचिंग से बाहर निकली तो पता चला ऑटो का स्ट्राइक है। शाम का धुंधलका छा रहा था। कोचिंग से उसका घर पांच किलोमीटर की दूरी पर था। क्या करे? क्या ना करे? पैदल अकेले इतनी दूर कैसे जाएगी ? घर पहुंचते-पहुंचते रात हो जाएगी। सोच -सोच कर वह बहुत ही परेशान हो रही थी।इतने में उसके साथ पढ़ने बाले वाले एक लड़के ने पास आकर कहा
"ऑटो वालों का स्ट्राइक है अगर आपको कोई परेशानी नहीं है, तो मैं आपको आपके घर अपने बाइक से छोड़ दूं।"
वह सोच में पड़ गई। उसे अपने मम्मी-पापा की नसीहतें याद आने लगी और सच में मोहल्ले वाले देखेंगे तो बातें बनाएंगे लेकिन पैदल जाना भी तो मुश्किल है मन में उठे इन सवालों के बावजूद विवश होकर उसने हां कर दिया। घर पहुंचते ही देखा मम्मी बाहर ही खड़ी थी। उसने बाइक से उतरकर उस लड़के को धन्यवाद दिया। शिष्टाचार के नाते चाय के लिए पूछना चाहती थी, लेकिन मम्मी की आंखों में नाराजगी देख वह ऐसा नहीं कर सकी। उस लड़के के जाते ही मम्मी बरस पड़ी मोहल्ले में तुम्हारे कारण कोई इज्जत नहीं रह जाएगी। लोग क्या कहेंगे किसी लड़के के साथ यूं बाइक पर बैठ कर आते देखकर। अब तक के तनाव से परेशान अपने स्वभाव के विपरीत खींजकर वह जवाब देती हुई बोली थी शौक से नहीं आई उसके पीछे बाइक पर बैठकर ऑटो का स्ट्राइक था इसलिए आना पड़ा कुछ भी बोलने से पहले सोच लिया करो। अब मैं बड़ी हो गई हूं अपने अच्छे और बुरे की समझ है मुझे। किसी भी सही-गलत काम करने का परिणाम पहले मुझे भुगतना होगा बाद में किसी और को यह भी पता है मुझे। सीधी सी बातों से समझा रही हूं तुम लोगों के बार -बार इस तरह बेवजह टोकने से से मेरा भला नहीं होता। उलटा मेरा आत्मविश्वास कमजोर होता है। इतना कहकर वह अंदर की ओर जाने लगी।
"सुनो "पीछे से मम्मी की आवाज आई तुम्हारा कहना ठीक है। मुझे सच में बिना मतलब की इतनी चिंता नहीं करनी चाहिए। तुम अपना मन छोटा मत करो। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। सीधी और स्पष्ट कही अपनी बातों का ऐसा असर देख वह हतप्रभ थी। एक गाँठ खुला था और एक सरलता का सूत्र उसके हाथ लगा था।
