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Rekha Rana

Children Stories

3  

Rekha Rana

Children Stories

संस्कार

संस्कार

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   " घर है या कैदखाना,जब देखो टोकाटाकी, ये करो,ये ना करो,ज्यादा पानी ना बहाओ.... खाली कमरे में लाईट पंखा बंद कर दो... मौसम अच्छा है एसी मत चलाओ.... ताजी हवा में बैठो.. । कहने को अपना घर.....पर अपने तरीके से रहने नही देते। बस एक बार अपने पैरों पर खडा हो जाऊँ तो मुडकर भी न देखूँ इस तरफ....।" सोच सोच के विश्वास अपने नये जीवन के ख्वाब सजाने लगा। अच्छी कंपनी से इंटरव्यू काॅल जो आया था। जीवन के सभी इम्तिहानो मे सफलता पाई थी उसने। नौकरी मिलने का उसे पूरी आस थी।

     इन्टरव्यू देने समय से पहुँच गया था।

    जो भी प्रार्थी बाहर आ रहे थे,सबकी एक ही प्रतिक्रया थी कि अंदर बुला कर बस नाम पूछ रहे है .....ऐसा क्या बिना नाम जाने ही बुला लिया ...  सब खाना पूर्ति है.......सिलैक्शन तो पहले ही हो चुका है। कुछ प्रार्थी तो ये ञब सुनकर बिना इंटरव्यू दिये ही चले गये।

     विश्वास भी जाने को हुआ पर फिर पिता की बात याद आ गयी कि युद्ध से पहले हार क्यों माने...... लड़े तो जीत भी तो सकते है सो बैठा रहा ।

    जब बारी आई अंदर गया तो पहला सवाल मिला......"अधिकतर प्रार्थी जा चुके है,तुम अभी तक रुके हो कोई खास वजह.... किसी की कोई जबरदस्त सिफारिश है शायद। " इटरव्यू लेने वाले ने पेपरवेट घुमाते हुए पूछा।

     " वो सर मै सुनीसुनाई बात का ऐतबार नही करता..... बस अनुभव को ही सच मानता हूँ। "

   " हूँssssssअच्छा वाटर कूलर का नल शायद तुमने बंद किया था। "

    "जी सर" विश्वास ने आत्म विश्वास से जवाब दिया

   " क्यों ......? किसी ने कहा था? 

   " नहीं सर किसी ने नहीं कहा........वो पानी व्यर्थ बह रहा था

 और सर पानी का व्यर्थ बहना न तो शुभ होता है ना ही किसी के लिये लाभकारी......और आज पीने के पानी के जो हालात उसमे तो ये लापरवाही गुनाह है। " विश्वास ने तर्क दिया।

    "बहता रहता तुम्हें क्या?कौन सा तुम्हारे घर का था। " 

    "अब ये तो नैतिक कर्तव्य से आँख चुराना हो गया सर और ऐसा तो मैने नहीं सीखा सर।" अनायास ही विश्वास के मुख से निकल गया।

      "तो और क्या-क्या सीखा है आपने मिस्टर विश्वास राणा

     " जी मेहनत और ईमानदारी से काम करना। "

     " अच्छा तनख्वाह क्या लोगे?"

      "जी?" 

     "आपको नियुक्त कर लिया गया है, हमें आप जैसे अनुशाशित और मेहनती कर्मचारी की ही जरुरत है। " 

     विश्वास खुश था नौकरी जो मिल गई थी....विश्वास ने महसूस किया था कि इंटरव्यू देते समय उसके जवाबों मे उसकी नहीं बल्कि उसके माता पिता की सोच झलक रही थी।

अब उसे मातापिता का कुछ भी कहना टोकना नहीं बल्कि संस्कार महसूस हो रहा था।

    


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