Deepika Raj Solanki

Others

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Deepika Raj Solanki

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समय परिवर्तनशील है

समय परिवर्तनशील है

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अपर्णा कई सालों बाद आज अपने पैतृक गांव आई, एन आर आई से शादी कर अपर्णा कई साल पहले ही भारत छोड़ चुकी थी, उसे उस समय भारत ख़ासकर इसके गांव बहुत पिछड़े लगते थे, चकाचौंध की जिंदगी पसंद करने वाली अपर्णा ने अपना जीवन साथी भी ऐसा चुना जो उसके सारे सपने पूरे कर सकें।

जिस गांव में वह अपना जीवन बिताना नहीं चाह रही थी आज उसी गांव से कुछ किलोमीटर दूर इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर उसकी फ्लाइट उतरी।

हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही अपर्णा को कतार पर खड़ी टैक्सियां दिखाई पड़ी, उसे ऐसा लग रहा था कि मानो वह किसी यूरोप के शहर में हो।

टैक्सी भी पूरी तरीके से आधुनिक थी टैक्सी वाले को घर का पता बता कर अपर्णा की आंख लग गई।

कुछ मिनट बाद अपर्णा को टैक्सी वाले ने जगाते हुए कहा मैडम आपका डेस्टिनेशन आ गया है।

घबराकर अपर्णा उठी और अपना सामान देखने लगी, टैक्सी वाले ने बाहर सामान की ओर इशारा करते हुए कहा मैडम आप घबराएं नहीं आपका सामान मैंने उतार दिया है और आप अपने घर पहुंच चुकी है।

उसे कुछ क्षण ऐसा लगा कि शायद टैक्सी वाले ने उसे लूट लिया है लेकिन उसकी ईमानदारी देखकर अपर्णा को अच्छा लगा।

अपर्णा ने जैसी ही टैक्सी का दरवाजा खोला सामने उसे एक बहुमंजिला इमारत दिखाई पड़ी, जहां कभी उसके पूर्वजों का छप्पर वाला घर हुआ करता था।

बाहर बनर्जी हाउस लिखा हुआ देखकर वह समझ गई कि यही उसका पुश्तैनी घर है।

गेट खोल के जैसे अपर्णा अंदर गई तो कई महिलाएं जूट से निर्मित सामान बना रही थी।

अपर्णा यह सब देखकर अचंभित हो रही थी तभी अंदर से किसी ने कहा अपर्णा दीदी आ गई है। परिवार के सारे लोग अपर्णा का स्वागत करने के लिए आ गए।

घर के बच्चे फराटेदार अंग्रेजी बोल रहे थे। घर के अंदर की सजावट और भी मनमोहक थी, घर का हर एक कोना सुव्यवस्थित ढंग से सजा हुआ था।

घर में आधुनिक उपकरणों की भी कमी अपर्णा को नहीं दिखाई दे रही थी।

नहा धोकर खाना खा अपर्णा कुछ देर आराम करने चली गई।

शाम को अपर्णा अपने रिश्तेदारों के साथ अपना छोटा सा कस्बा देखने निकल पड़ी, चारों तरफ उसे हरियाली के साथ आधुनिक उपकरणों से युक्त कई छोटे-छोटे कारखाने दिखाई दिए, जहां कभी साइकिल भी बहुत कम लोगों के पास हुआ करती थी वहां अब लोगों के पास मोटर साइकिल और कारों की भीड़ देख अपर्णा हैरान रह गई।

अच्छे स्कूल कॉलेज ,स्वास्थ्य केंद्र, पार्क ,रेस्टोरेंट आदि देखकर अपर्णा को ऐसा लग रहा था कि वो यूरोप के किसी छोटे से कस्बे में टहल रही हो।

पास बैठे अपने भतीजे से अपर्णा ने कहा यहां की तो पूरी सूरत बदल गई है।

भतीजे ने इसका उत्तर देते हुए कहा "यहां की सूरत नहीं बदली है आपके देखने का नजरिया बदल गया है।"

पास में बैठे अपर्णा के भाई ने अपर्णा की ओर देखते हुए कहा "अपर्णा जिस जगह को तुम पिछड़ा हुआ बोला करती थी, आज वह तुम्हारे यूरोप के कई बड़े बड़े शहरों में जूट का समान भेजता है।

यहां कई विदेशी देसी कंपनियों ने निवेश किया है,

यहां के लोगों ने अपने संसाधनों को समझा तथा अच्छी शिक्षा प्राप्त कर वह बाहर नहीं गए बल्कि अपने इस कस्बे को विकसित करने में लग गए जिसके परिणाम स्वरूप आज यहां हर सुविधा उपलब्ध है।"

अपर्णा को यह सब देख कर अच्छा भी लग रहा था और कहीं ना कहीं उसे अपनी सोच पर शर्मिंदगी भी हो रही थी।

जहां उसने अपना बचपन बिताया, यहां की मिट्टी में वह पली बड़ी हुई थी उसे उस से प्रेम नहीं था क्योंकि उस समय वह जगह आधुनिक समय के अनुसार पीछे थी पर आज यहां के निवासियों ने अपनी कार्यकुशलता से उसे आधुनिकता की दौड़ में शामिल कर लिया।

अगर उस समय वहां के लोग भी अपर्णा की जैसी सोच रखते तो सब लोग अपने उज्ज्वल भविष्य की तलाश में, यह जगह को छोड़कर दूसरी जगह चले जाते ।

और यह क्षेत्र अपने असीम संसाधनों के साथ अविकसित और पिछड़ा ही रहता।

समय एक चलती हुई धारा है, जिसमें हर पल परिवर्तन होता रहता है, जो इस परिवर्तन को समझ जाता है वह नए कीर्तिमान स्थापित करता है।

छोटे से कस्बे के लोगों ने यहां मौजूद संसाधनों को समझा और उनका उपयोग कर आज इस छोटे से कस्बे को विश्व प्रसिद्ध बना दिया।

जो कस्बा पिछड़ा माना जाता था आज वह कई आधुनिक विकसित क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन चुका था।



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