समय का फेर
समय का फेर
आज काफी समय बाद, किशोर बाबू फिर अपनी छोटी व लाडली पोती के साथ बाजार की सैर पर निकले है। ये वही बाजार है जहां सेलटैक्स ऑफिसर रहते उन्होंने कई दौरे किये थे। और तब उनकी इस पूरे बाजार में काफी आवभगत होती थी।
पर आज वे सभी व्यापारी उनसे नजरें चुराकर अपने अपने काम में लगे है,
जो कभी उनकी गाड़ी देखते ही उन्हें धौंक देने पहुंच जाया करते थे। फिर उनकी गाड़ी समान लेने वही तय पुरानी दुकान पर रुकी।
उन्हें देख आज व्यापारी ने अपनी जगह अपने बेटे को उन्हें सामान देने का इशारा किया। और उस लड़के ने उनका बताया पूरा सामान पैक कर एक लंबा चौड़ा बिल उनके हाथ में थमा दिया।
फिर बिल भुगतना कर जब वे सामान को अपनी गाड़ी में रखवा। अपने घर की ओर हुए, तब उनकी पोती ने उनसे बड़ी ही मासूमियत से पूछा, कि दादाजी आज पहली बार हमसे दुकानदार ने सामान के पूरे पैसे भी लिए। और हर बार की तरह वो चॉकलेट का बड़ा डिब्बा भी इनाम में नहीं दिया।
उसकी बात सुन किशोरबाबू मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोले, तुम अभी नहीं समझोगी बेटा अब मैं रिटायर्ड जो हो चुका हूं।