सख्त लौंडा
सख्त लौंडा
कृति - महक तुझे पता है , ये ऋषभ है ना .... बहुत सख्त लौंडा है।
महक - सख्त लौंडा ? ये सख्त लौंडा कौन होता है ?
कृति ( हँसते हुए ) - हाहा ... तुझे सख्त लौंडा नहीं पता ? कौन से ज़माने में जी रही है यार तू ? अरे सख्त लौंडा उसे कहते हैं जो किसी लड़की के पास जाने पर भी नहीं पिघलता।
महक - मैं नहीं मानती ... आजकल इस कलयुग में कोई सख्त नहीं। अरे जब विश्वामित्र की तपस्या मेनका ने भंग कर दी थी तो ये ऋषभ क्या चीज है।
कृति - देख मैने तो हर तरह से कोशिश कर ली पर ये नहीं हिला , अब तेरी बारी है। क्या पता तू ही मेनका बन इसकी तपस्या भंग करे।
महक बहुत ही सुन्दर थी। उसकी आवाज़ एकदम कोयल जैसी मीठी थी। कॉलेज के सभी लड़के उसपर जान देते थे परंतु वो बस अब ऋषभ को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती थी। उस दिन अचानक से सबका फिल्म देखने का प्रोग्राम बना। सिनेमा हॉल में महक और ऋषभ दोनो साथ - साथ बैठे। लाईट बंद होते ही फिल्म में कामुकता के दृश्य आने लगे। आगे की सीट पर बैठे सभी युवा जोड़े प्रेमालाप में लग गए। महक ने भी धीरे से ऋषभ का हाथ पकड़ लिया। इससे पहले कि ऋषभ उसका हाथ छुड़ाता महक अपने कपड़ों पर लगे इत्र से उसे लुभाने लगी।
थोड़ी देर बाद ही ऋषभ का हाथ महक के कंधे पर था और वो किसी पागल भँवरे की भांति उसके अधरों का रस चूस रहा था।
महक खामोश थी अपनी जीत पर .... आज एक सख़्त लौंडा उसके आगे हार जो गया था।
उद्देश्य - स्त्री अगर अपनी ज़िद पर आ जाये तो कोई भी सख़्त से सख़्त पुरुष उसके आगे टिक नहीं पाता।