सीख से हानि
सीख से हानि
एक बार की बात है एक चिड़िया अपने बच्चों के साथ घोंसला बनाकर एक आम के पेड़ पर रहती थी। उसी पेड़ पर एक बन्दर कई बार फल खाने कभी पत्तियाँ खाने और कभी कभी छाँव की तलाश में आकर बैठता। चिड़िया यूँही बन्दर से हाल चाल पूछ लेती। बन्दर बस हल्की मुस्कान के साथ हाँ हूँ मैं जवाब दे देता।
एक रात बड़ी तूफानी बारिश आयी, बन्दर यहाँ वहाँ आसरा तलाशता उसी आम के पेड़ पर आ बैठा । चिड़िया अपने घोंसले में अपने बच्चों के साथ दुबकी बैठी थी। बन्दर को बैठा देख थोड़ा बाहर निकली अपने घोंसले से और बन्दर के हाल पूछे। बन्दर थोड़ा झुंझला के बोला, " भीग रहा हूँ बारिश में और क्या हाल होगा ऐसे में ?" चिड़िया बोली, " तुम खुद के लिए घर क्यों नहीं बना लेते जहाँ सर ढकने को छत तो होती तुम्हारे पास ? तुम्हारे पास तो दो दो हाथ हैं, लकड़ी ईंट घास फूस किसीसे भी तुम घर बना सकते हो। तुम्हे मेहनत करनी चाहिए यूँ दिनभर इस पेड़ से उस पेड़ छलांग लगते रहते हो थोड़ा काम कर लेते तो आज यूँ परेशान न होना पड़ता। मुझे देखो तिनका तिनका छोड़ छोड़ कैसे घोंसला बनती हूँ पर आज कम से कम सुरक्षित हूँ ऐसे तूफानी मौसम में। "
अब बन्दर को चिड़िया की बातों पर गुस्सा आने लगा, एक तो मौसम से परेशान और उसपे चिड़िया का ज्ञान उसे भरी लगने लगा। मौसम का वो क्या ही बिगाड़ सकता था पर चिड़िया पर तो गुस्सा निकाल ही सकता था। बन्दर ने आव देखा न ताव और एक झटके में चिड़िया का घोंसला पेड़ पर से उठा कर नीचे फेंक दिया। चिड़िया और उसके नन्हे बच्चे धड़ाम से गीली जमीन पर जा गिरे।
अब चिड़िया को भारी पछतावा हुआ क्यों वो फालतू ही बन्दर के झमेले में पड़ी, उसे क्यों सलाह देती रही। बन्दर को समझाने के चक्कर में उसका ही नुक्सान हो गया था। उसे फिर से अपना घोंसला बनाना था, अपने बच्चों को तब तक सुरक्षित भी रखना था। और ये सब करने के लिए बारिश के रुकने का इंतज़ार करना था।
कहानी से यह शिक्षा मिलती है की - " सीख उसी को देनी चाहिए जो समझदार हो, सीख लेने के लायक हो अन्यथा सीख देने वाले का ही नुक्सान होता है। "