Rashi Saxena

Children Stories

4.0  

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पानी पूरी वाले वैद्य जी

पानी पूरी वाले वैद्य जी

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मेरी दादी मुझे तिक्त वास्तु खाने के लिए प्रेरित करने हेतु और उनकी गुणवत्ता जानने के लिए एक कहानी सुनाती थीं। 

कहानी का शीर्षक है - " पानी पूरी वाले वैद्य जी "

एक समय की बात थी, गांव में एक वैद्य अपने परिवार संग रहते थे, उन्हें जड़ी बूटियों की अच्छी जानकारी थी और वो औषधीय काढ़ा- चूर्ण आदि बनाने के विशेषज्ञ थे। समय बदलाव पर था और शहर से अंग्रेजी डॉक्टर, अंग्रेजी दवाई साथ साथ अंग्रेजी रोग भी गांव का रुख़ करने लगे थे । अंग्रेजी दवाई के आगे लोग कड़वे काढ़े चूर्ण क्यों पसंद करते भला सो वैद्य जी बेरोज़गार होते जा रहे थे। पत्नी आये दिन उलहाने देती , आखिर कब तक अपने इन काढ़े बूटियों को लिए बैठे रहोगे ,महीनों से घर में दो पैसे की भी कमाई नहीं आ रही ? तुम्हारा बेटा जो यहाँ वहाँ छोटे मोटे काम कर के कुछ लाता है उसी से बमुश्किल राशन पानी की व्यवस्था कर पाती हूँ । 

इतने में वैद्य जी का बेटा घर में आते ही बोला, " पिता जी मैंने सोच लिया है , अब हम मिलकर कोई व्यवसाय करते हैं। क्यों न हम पानी पूरी का ठेला लगा लें ,आजकल लोग बड़े चाव से खाते हैं। खूब बिक्री होगी हमारी भी। " वैद्य की पत्नी को भी बेटे की बात जंची और पानी पूरी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है सोचते हुए वैद्य जी को भी बेमन ये बात माननी पड़ी। दूसरा रास्ता भी न था घर चलाने के लिए आमदनी होना भी आवश्यक होता है। 

पूरा परिवार लग गया खट्टा मीठा नमकीन पानी बनाने , पानी पूरी तलने। और शुरू हो गया वैद्य जी के बेटे का पानी पूरी का ठेला । धीरे धीरे लोगों का आना भी बढ़ने लगा स्वादिष्ट पानी पूरी खाने। 

एक दिन की बात थी ,बेटा दोपहर में घर गया हुआ था खाना खाने और वैद्य जी दुकान संभाल रहे थे। एक दादा जी अपने पोते के साथ आये और बोले एक प्लेट पानी पूरी मेरे पोते के लिए दे दो। वैद्य जी ने एक प्लेट मीठी पानी पूरी बच्चे को दे दी। फिर वैद्य जी बोले , " बाउजी , आपको भी दूँ एक प्लेट पानी पूरी घर की बना पानी एवं पूरी है एकदम सुरक्षित। " दादा जी बोले, " नहीं भाई , मुझे डायबिटीज है मैं मीठा नहीं खा सकता। " वैद्य जी बोले , " बाउजी, क्या आप कल फिर आएंगे मैं वैद्य हूँ आपके मधुमेह की बीमारी के लिए विशेष पानी पूरी लाऊंगा , आप आएगा ज़रूर। " दादा जी मान गए और पैसे देकर चले गए , " कल आता हूँ फिर " कहकर। 

इधर वैद्य जी घर आते ही लग गए कुछ विशेष पानी बनाने जैसे करेला, नीम, तुलसी और आँवला पानी। जहाँ आम पानी पूरी ठेलो पर सिर्फ दो तरह के पानी होते थे, वैद्य जी के पास पांच छः प्रकार के पानी थे। दादा जी आज फिर पोते के साथ आये और बोले , " बताओ भाई क्या ख़ास है मेरे लिए भी?" पोते को मीठी पानी पूरी देते हुए वैद्य बोले , " दादाजी आप ख़ास करेला पानी पूरी लीजिये जिससे आपका मधुमेह काम होगा निश्चित। " दादा जी ने खाते हुए कहा , " वाह भाई ,अब मैं भी पानी पूरी के मज़े ले सकता हूँ बिना डायबिटीज की चिंता के , धन्यवाद। " 

अब दादा जी हर रोज़ एक प्लेट कभी नीम कभी करेला पानी पूरी खाने लगे। वैद्य जी भी बोले आप एक महीने रोज़ इसका सेवन करने के बाद अपना रक्त जांच कराये डायबिटीज कम होगी। 

यही हुआ भी और , ठीक एक माह बाद दादा जी का मधुमेह स्तर कम हुआ था। दादा जी की ख़ुशी का ठिकाना न था। अब तो दादा जी की मित्र मंडली भी वैद्य जी के ठेले पर आने लगी कोई नीम कोई तुलसी कोई आँवला पानी चाहता था। वैद्य जी को भी ख़ुशी थी के स्वादिष्ट के साथ साथ स्वास्थ्यवर्धक पानी पूरी का व्यवसाय जो कर रहे थे। वो अब हर ग्लानि से दूर अपने जड़ी बूटी काढ़े बनाने के हुनर का सही इस्तेमाल कर रहे थे। 


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