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Vimla Jain

Children Stories Inspirational

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Vimla Jain

Children Stories Inspirational

सीढ़ी

सीढ़ी

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रात का टाइम है सारे बच्चे दादी को घेर के बैठे हैं। दादी दादी आज हमको सीढ़ी पर लेख लिखना है कुछ तो बताओ। हम तो खाली यही सीढ़ी जानते हैं जिससे हम घर के अंदर चढ़ते हैं।

इसके अलावा हमको कुछ भी नहीं आता। आप बताओ ना क्या लिखे कैसे लिखें। अब हम को समझाओ दादी। बच्चों तुम रोज कहानी सुनते हो आज यह क्या लेकर बैठ गए। तुम खुद ही देख लो ना पढ़ लो कहीं पर उसके बारे में मिल जाएगा। लेख ही तो लिखना है। मगर बच्चे सब मचल जाते हैं। नहीं हम किसी में से देखकर नहीं लिखेंगे। दादी हमको आप बहुत अच्छा समझाते हैं। हम तो आपसे ही सुनेंगे और फिर उसके हिसाब से अपने शब्दों में लिखेंगे। दादी बोलती है फिर मैं तुमको कहानी नहीं सुनाऊंगी आज। मंजूर है, बच्चे बोलते हैं हां हमको मंजूर है। हमको आज सीढ़ी के बारे में ही बताओ। आज दादी थोड़ा भाव खाती है अच्छा तुम इतना कह रहे हो तो मैं तुमको समझा ही देती हूं बच्चों की सीढ़ी क्या होती है मगर बीच में कोई बात नहीं करेगा। सब शांति से सुनेंगे मैं वापस प्रश्न भी पूछ लूंगी। अगर मुझे लगा तुम्हारा ध्यान नहीं है तो फिर मैं कभी तुमको कोई लेख निबंध नहीं बताऊंगी। खाली कहानियां ही सुनाया करूंगी है मंजूर तो बोलो हां। सब बच्चे बोलते हैं हां हमको मंजूर है। आप वापस प्रश्न भी पूछ लेना तो दादी उनको बिठाकर समझाने लगती है।

वह बोलती है सीढ़ी या सोपान एक यांत्रिक औजार है जो धरातल से उपर चढ़ने या नीचे उतरने के काम आती है। इसमें उर्ध्वाधर या झुके हुए बहुत से 'चरण' होते हैं। सीढ़ी मुख्यतः दो प्रकार की होती है - लकड़ी, लोहा, एलुमिनियम आदि की अचर सीढ़ी, तथा रस्सी की सीढ़ी जो किसी आश्रय से लटकाई जाती है। 

यह तो हुई सीढ़ी की परिभाषा, किसे कहते हैं मगर जिंदगी के संदर्भ में सीढ़ी के बहुत मायने हैं। एक सीढ़ी वह है जो हमको देव दर्शन पर ले जाती है और वहां से वापस नीचे उतरने में मदद करती है। दूसरी सीढ़ी हम को घर पर ले जाती है वापस नीचे उतरने में मदद करती है। तीसरी लोगों को रक्षा आपात कालीन में रक्षा करने वाली सीढ़ी। इसी तरह जिंदगी में सीढ़ी बहुत तरह से काम आती है। और बहुत तरह से प्रयोग में ली जाती है कुछ लोग जिंदगी में उत्तरोत्तर प्रगति की सीढ़ी चढ़ते जाते हैं और अपनी सफलता को हासिल करते हैं वह नीति नियमों के साथ वह भी सीढ़ी ही है। इसी तरह कुछ स्वार्थी लोग दूसरे का सहारा लेकर अपना काम निकलवा कर प्रगति की सीढ़ी चढ़ जाते हैं।

और सामने वाले को ऊंचाई से नीचे गिरा देते हैं इस तरह एक छोटा सा शब्द सीढ़ी कई मायने लिया हुआ होता है ।

जैसे रावण ने सोचा था कि मैं स्वर्ग तक सीढ़ी बना लूंगा मगर उसका क्या हश्र हुआ और किस तरह उसका अंत हुआ यह सभी जानते हैं ।

इसी तरह सही तरह से उपयोग करी हुई सीढ़ी आपको प्रगति की ओर ले जाती है और नहीं तो जिस तरह से सांप काटने पर नीचे आ जाते हैं सांप सीढ़ी में उसी तरह नीचे धड़ाम से गिरना पड़ता है। इसीलिए काम ऐसे कीजिए जिसमें अलख समाय जो अपने मन के अंदर संतुष्टि को शांति दे और दूसरों का भी दिल ना दुखे।


तो बच्चों तुमको क्या समझ में आया मैंने जो तुमको समझाया सीढ़ी के बारे में तुम समझा सकते हो। लिख सकते हो इस पर तो मेरे को लिखकर बताओ। सब बच्चे अपनी दादी को हां में सिर हिलाते हैं कि हां हम को समझ में आया। और बहुत खुश होते हैं दादी को लिपट जाते हैं। आपने हमको बहुत अच्छा समझाया हम भी जिंदगी में इन बातों का ध्यान रखेंगे,

 और हम अपनी कॉपी में लिख कर आपको जरूर बताएंगे और फिर सब खुशी खुशी शुभ रात्रि बोल कर सोने चले जाते हैं।



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