Bhawna Kukreti

Others

4.9  

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श्रद्धा

श्रद्धा

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दक्षेश्वर महादेव मंदिर में आज सुबह 4:00 बजे से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी थी ।सभी श्रद्धालु तन मन से पवित्र हो, अपने प्रिय अराध्य शिव बाबा को भांग,धतूरा,बेल, गंगाजल, दूध,दही सब कुछ, अपनी क्षमता के अनुसार अर्पण करने के लिए पन्क्तिबद्ध हो खड़े थे।सबके हृदय में भक्ति हिलोरे ले रही थी। मन्दिर मे हर कोने पर पुलिस के दसियों जवान लाठी फटकारते, व्यवस्था सम्भाले हुए थे।दोपहर के 2 बजने को थे मगर आज का दिन उन सबके जीवन में एक अद्भुत उल्लास और विश्वास लेकर आता था सो सब विनीत भाव से अपनी बारि की प्रतीक्षा मे थे ।आज महा शिवरात्रि जो थी।


एक समृद्ध वृद्ध स्त्री अपने हृदय में शिव जी पर दूध अर्पण करने को लेकर अत्यधिक भाव विभोर हुई चली आ रही थी। बड़ी भारी भीड़ देखकर उनका मन कुछ विचलित हुआ, "हमको पैरों से ज्यादा न चला जाता है न ज्यादा देर खड़ा रहा जाता है " वो अपने आप से बोल रही थीं। उन्होने अपने चश्मे के पीछे से लाइन की लम्बाई को देखा " हे शिव बाबा!!!! कैसे होगा दर्शन?!" 


उन्होंने अपने कदमों की तेजी बढाई और बेहद लम्बी लाइन से आगे जाते हुए मन्दिर के मुख्य द्वार पर आकर ठिठक गईं। उनके पीछे कुछ ही देर मे एक और मरवाड़ी महिला खड़ी हो गई।

"बड़ी भीड़ है माता जी दर्शन मे बहुत समय लगेगा।",

"बहन जी ज़रा होशियारी दिखाईये,जहां मौका लगे घुस जाईये।" 

उन्होने उस महिला का हाथ पकड़ लिया और एक झटके मे उन्हे खींचते हुए मुख्य द्वार पर ,लाइन मे, बीच में घुस गयी। जिस महिला के आगे वे दोनो घुस कर लगी वो महिला बोल पड़ी।


" माता जी ?! लोग लाइन मे तब से लगे हैं और आप बीच मे घुस रहीं है?!


" तो क्या? हम किसी का कुछ बिगाड़ रहे हैं?"


वृद्ध स्त्री ने कुछ चिढ़ कर कहा। महिला ने उनकी प्रतिक्रिया पर अपने पीछे खड़ी अपनी किशोर बच्ची और उसके पिता को देखा । व्यवस्था देखते जवान ने कहा 

" माता जी चलिये जल्दी दर्शन करिये ,पीछे बहुत लोग प्रतीक्षा मे हैं।" 

शिवलिंग पर अपनी छोटी सी पॉलिथीन की पोटली से धीरे-धीरे ,पहले भांग की एक पत्ती, एक बेर का फल, एक आक का पत्ता और पाव भर दूध चढ़ाया। पण्डित जी बोले


"माता जी तनिक जल्दी करिये "

"हाँ ,हाँ काहे खीझ रहे हो?! कर तो रहे हैं!" 


वृद्धा और मारवाड़ी महिला ने निश्चिंत हो माथा टेका, बाबा की आरती गायी।


" भोले बाबा ऐसे ही किरपा बनाए रखिये, जय भोले नाथ " 


10 मिनट बाद दोनो ,गर्भ गृह से बाहर आईं।

"माता जी आप तो बहुत तेज निकलीं,आपकी वजह से हमें भी जल्दी दर्शन हो गए।" मारवाड़ी महिला गदगद थी।

"ए बेटा ! ऐसे ही दर्शन हो पाता है,नहीं तो खड़े रह जाते।"

" माता जी आपने हमें महादेव के दर्शन कराये ,चलिये साथ चलिये हमारे, आपको चंडी देवी मनसा देवी के दर्शन कर लाते हैं।"

" नहीं, नहीं बेटा। हम बहुत बार दर्शन किये हैं।यहीं के रहने वाले न हैं।" 


दोनो ने मन्दिर की परिक्रमा साथ साथ की तभी बहुत तेज सायरन बजाते मन्दिर परिसर मेअम्बुलेंस दाखिल हुई। दोनो ने उस ओर देखा ,एक किशोर बच्ची को लोग गोद मे उठाये एम्बुलेंस मे लिटा रहे थे। माँ रोये जा रही थी।


"सुबह से भूखी प्यासी थी की बाबा के दर्शन करूंगी तो कुछ मुहँ मे डालूंगी ",


" एम्बुलेंस के साथ आया कर्मचारी बोला


"कोई मैडिकल कंडीशन तो नही है "


"शुगर है भैया" उसके पिता बोले।


"माता जी ये तो वही बच्ची है न जिसकी माँ मुंह बिचका रही थी ?!" वृद्धा ने देखा और चश्मा ठीक करते हुए कहा " क्या पता ,हमको इतना दूर का साफ नहीं दिखता,चलते हैं।"


अपने सर पर बार-बार हाथ फिराते , बड़बड़ाते वृद्धा तेज कदमो से अपने घर को जाने लगी 


"आज कल हारी बीमारी किसको नही है?!, हमको नहीं है क्या?! बी पी, सूगर, आर्थराइटिस, मोतियाबिंद, हार्ट सबकी तो गोली खातें है, जी रहे जब तक जी रहे....।" 


वे घर पहुँची और उनके किरायेदारों मे से एक ने कहा" माता जी बडी जल्दी चली आईं!?" दूसरा बोला " कहे थे हम दर्शन करने को नही मिलेगा आज ,यहीं कॉलोनी के मन्दिर मे जल दे आईये ।"


वृद्धा माता जी अब विजयी भाव से बोलीं" काहे नही होता,लम्बी लाइन थी मगर हम आगे जा के घुस गये और दर्शन कर लिये।"," हौ, अम्मा जी आपने चीटिंग की?!" किरायेदार का 5 साल का बच्चा बोल गया।उसकी माँ ने उसको जोर का धप्पा दिया।


"रे नालायक ,क्या अनाप शनाप कहता है!!"


" अम्मा जी ने भगवान जी से चीटिंग की "


चिल्लाता हुआ बच्चा माँ का हाथ छुड़ा कॉलोनी मे भाग गया।


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